मौन ! हमारे लिए क्यों जरूरी है मौन ?

मौन कई प्रकार का होता है। वाणी का मौन यानि मुँह से कुछ न बोलना और आत्मा में जागना और ऐसा देखना की न स्वपन न सुषुप्ति है। ऐसे निश्चय में स्थित रहना तुरीयातीत पद कहलाता है। परम मौन का मतलब इन्द्रियों के रोकने की इच्छा भी न करना और न विचरने की इच्छा करना। … Read more

सच्चे मन से पुकारो भगवान जरूर सुनते हैं।

सच्चे मन से पुकारो मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद गाते थे भी भगवान सुनते थे। और कहां तक कहूं कबीर जी तो यहां तक कह दिया-चींटी के पग नूपुर बाजे वह भी साहब सुनता है। एक चींटी कितनी छोटी होती … Read more