मौन ! हमारे लिए क्यों जरूरी है मौन ?

मौन कई प्रकार का होता है। वाणी का मौन यानि मुँह से कुछ न बोलना और आत्मा में जागना और ऐसा देखना की न स्वपन न सुषुप्ति है। ऐसे निश्चय में स्थित रहना तुरीयातीत पद कहलाता है। परम मौन का मतलब इन्द्रियों के रोकने की इच्छा भी न करना और न विचरने की इच्छा करना। … Read more

सच्चे मन से पुकारो भगवान जरूर सुनते हैं।

सच्चे मन से पुकारो मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद गाते थे भी भगवान सुनते थे। और कहां तक कहूं कबीर जी तो यहां तक कह दिया-चींटी के पग नूपुर बाजे वह भी साहब सुनता है। एक चींटी कितनी छोटी होती … Read more

आनंद के स्त्रोत कहाँ है -संतो ने नट की कथा द्वारा हमे समझाया है

सद्गुरु से दीक्षा लेने वाले शायद प्रारम्भिक अवस्था में ‘शब्द’ का अर्थ अच्छी तरह से नहीं समझ पाते हैं क्योंकि अधिकांशत जिज्ञासुओं की यह सामान्य धारणा होती है कि जब एक बार सद्गुरु किसी साधक को दीक्षा दे देते हैं तो उसके बाद उनकी ज़िम्मेवारी समाप्त हो जाती है। परन्तु हकीकत इसके विपरीत है। वास्तव … Read more

sadhguru darshan – सद्गुरु दर्शन क्यों जरूरी हैं ?

Sadhguru darshan

sadhguru darshan sadhguru darshan-सद्गुरु शान्तस्वरूप तथा माया से अलिप्त होते हैं। मन माया में लिप्त होने के कारण चंचल है। इसलिये मन की चंचलता को दूर करने और मन को शान्त बनाने के लिये सत्पुरुषों की संगति व दर्शन की अति आवश्यकता में है। हम सद्गुरु के दर्शनों को क्यों जाते हैं? इसका भेद अगर … Read more

धन प्राप्ति उपाय – क्यों लगाना चाहिए परमार्थ में धन ..

धन प्राप्ति उपाय

पवित्र धन प्राप्ति उपाय ॥ दोहा ॥  धन के भागी चार हैं, धर्म, चोर, नृप, आग ।। कोपहँ ता पै भ्रात त्रै, करें जो ज्येष्ठहिं त्याग ॥ दूसरे तीनों भाई धर्म की इज़्ज़त करते हैं। जो लोग धर्म में है – धन लगाते हैं उनको यह तीनों भाई कुछ नहीं कहते, क्योंकि वे समझते हैं … Read more