मेरा रहस्य वह क्या है गुरु जी ? शिष्य ने आश्चर्य से पूछा

मेरा रहस्य एक बार एक संत अपने आश्रम में बैठे हुए थे, तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से थोड़ा क्रोधी था, उनके समक्ष आया और बोला, “गुरु जी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाए रहते हैं। न आप किसी पर क्रोध करते हैं और न ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते हैं ? … Read more

मौन ! हमारे लिए क्यों जरूरी है मौन ?

मौन कई प्रकार का होता है। वाणी का मौन यानि मुँह से कुछ न बोलना और आत्मा में जागना और ऐसा देखना की न स्वपन न सुषुप्ति है। ऐसे निश्चय में स्थित रहना तुरीयातीत पद कहलाता है। परम मौन का मतलब इन्द्रियों के रोकने की इच्छा भी न करना और न विचरने की इच्छा करना। … Read more