मौन ! हमारे लिए क्यों जरूरी है मौन ?
मौन कई प्रकार का होता है। वाणी का मौन यानि मुँह से कुछ न बोलना और आत्मा में जागना और ऐसा देखना की न स्वपन न सुषुप्ति है। ऐसे निश्चय में स्थित रहना तुरीयातीत पद कहलाता है। परम मौन का मतलब इन्द्रियों के रोकने की इच्छा भी न करना और न विचरने की इच्छा करना। … Read more