सत्संग
संतो का संग है सत्संग ,मन को शांत रखने की दवाई है सत्संग , आत्मा की खुराक है सत्संग
सत्संग का प्रभाव महान् है जो भी सत्संग-महापुरुषों के वचन सुनता है, मनन करता है और उनपर अमल करता है उसका जीवन सफल हो जाता है। वह आत्मिक उन्नति की ओर निरन्तर बढ़ता है। महापुरुषों के वचन जीव के मन पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं, जिनके प्रभाव से जीव का आत्म कल्याण होता है।
श्री आरती पूजा क्यों जरूरी है ? आरती का अर्थ क्या है ?
॥ दोहा ॥ श्री आरती-पूजा वन्दना, आराधना प्रति रोज होत सतत् रहे लवलीन जो, भव का नाशे रोग ‘आ-रती’ शब्द का अर्थ ‘आ-रती’ शब्द का अर्थ है, आत्मा का प्रभु परमात्मा की ओर प्रेम तथा आकर्षण। बाह्य रूप में प्रज्वलित ज्योति से पूजा की जाती है इस प्रज्वलित जोत का गहरा अर्थ है। यह जोत … Read more
मनुष्य की इच्छाएं क्यों नहीं पूरी होती ?
यदि इन सांसारिक वस्तुओं से सुख और शान्ति प्राप्त हो सकती तो इस संसार का समूचा ढाँचा ही विपरीत होता। जो लोग संसार के कोलाहलपूर्ण आमोद-प्रमोद में पूर्णतया निमग्न हैं और जिन्हें प्रयोग के लिए सभी शारीरिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त हैं, सुखी एवं आनन्दमग्न होते। परन्तु देखा यही जाता है कि वे ही सबसे अधिक दुःखी … Read more
सतगुरु की आज्ञा का पालन क्यों जरूरी है
सतगुरु की आज्ञा का पालन हममें असंख्य कमियां हैं और उनमें से अनेकों को हम जानते भी हैं। परन्तु इन कमजोरियों को दूर करना मनुष्य की अपनी सामर्थ्य से बाहर है। इस कार्य के लिए उसे किसी दूसरे की सहायता और निर्देशन की आवश्यकता होती है। क्या उसके सम्बन्धी या मित्र उसकी इस कार्य में … Read more
आनंद के स्त्रोत कहाँ है -संतो ने नट की कथा द्वारा हमे समझाया है
सद्गुरु से दीक्षा लेने वाले शायद प्रारम्भिक अवस्था में ‘शब्द’ का अर्थ अच्छी तरह से नहीं समझ पाते हैं क्योंकि अधिकांशत जिज्ञासुओं की यह सामान्य धारणा होती है कि जब एक बार सद्गुरु किसी साधक को दीक्षा दे देते हैं तो उसके बाद उनकी ज़िम्मेवारी समाप्त हो जाती है। परन्तु हकीकत इसके विपरीत है। वास्तव … Read more
आत्मा-सागर की एक बूंद है
परमेश्वर का निवास शरीर के भीतर है। प्रभु ईसामसीह कहते – हैं, “परमेश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर है।” गुरुवाणी में भी कहा गया है : आतम महि रामु राम महि आतमु । चीनसि गुर बीचारा ॥ जीवात्मा और परमात्मा का सम्बन्ध भी अद्भुत है। जसे जीवात्मा हम में है और उसी तरह परमात्मा भी है … Read more
भक्ति की महिमा क्या है
भगवान श्री राम और भक्त बाली की भक्ति की महिमा बाली का भगवान् राम से प्रश्न करना मुझे एक है शिकारी की भाँति आपने छुपकर बाण मारा, यह कहाँ का है धर्म है? भगवान् भी उसके प्रश्न का उत्तर नीति से ही देते हैं। बाली का भगवान से पूछना -हे भगवन्! आप ही बतायें कि … Read more
सद्गुरु और शिष्य
सद्गुरु और शिष्य- सद्गुरु का अपने शिष्य से प्यार कहते हैं-एक महापुरुष अपने शिष्य को साथ लिये हुए मार्ग में जा रहे थे। चलते-चलते उनको एक स्थान पर जंगल में रात काटनी पड़ी। सन्तों ने अपने शिष्य से कहा है: बेटा! जंगल का मामला है, हम और तुम दोनों बारी-बारी से सोयें और जागें। जब … Read more
अनमोल वचन – प्रेरणा और शिक्षा प्रदान करने वाले
अनमोल वचन दुनिया चाहे आपको कितना भी हारा हुआ माने लेकिन आप कभी अपनी नजरों में हार मत मानना । संतो के अनमोल वचन स्वाभाविक ही सुमिरण होने लगे तो मन सुमिरण है। 6.) दाद को खुजलाने में पहले सुख प्रतीत होता है, परन्तु बाद में असह्य कष्ट होता है। उसी प्रकार शरीर-इन्द्रियों के भोग … Read more
सत्संग का अर्थ क्या है?
सत्संग का अर्थ क्या है? सत्संग एक अमूल्य निधि है नीम का वृक्ष चन्दन के वृक्ष के समीप होने से सुगन्धित हो जाता है और जो कुछ भी नमक की खान में जाता है वह नमक बन जाता है। इसी प्रकार यह भी अटल सत्य है कि जो भी सन्त-महापुरुषों की शरण संगति ग्रहण करता … Read more