प्रार्थना का महत्व क्या है?

एक बार भगवान् श्री कृष्ण ने अपने सखा अर्जुन को प्रार्थना का महत्व दर्शाना चाहा। अर्जुन हैरानी से बोला, “मेरा ख्याल है आपको गलती लग रही है ये पाण्डु पुत्र अर्जुन द्वारा अर्पित किये फूल होंगे।” उस व्यक्ति ने कहा- “नहीं, नहीं। ये भीम की ही भेंट है। वह अटूट श्रद्धा, लगन व एकचित्त होकर … Read more

निष्काम सेवा सबके लिए क्यों जरूरी है ?

निष्काम सेवा मनुष्य देह के प्रत्येक अंग-नेत्र, कान, हाथ, पैर तथा मन सब पूर्ण रूपेण मालिक की सेवा में लगाने चाहिए। जिससे अन्तरात्मा शुद्ध हो जाती है। जब हम अपने सद्गुरु तथा सन्त-महापुरुषों की सेवा करते हैं तो हमारा हर कर्म पवित्र और निष्काम होता है, जो हमें कर्म-बन्धन से रहित करता है। निष्काम सेवा … Read more

प्रार्थना का अर्थ- हमे बार-बार प्रार्थना क्यों करनी जरूरी है 

प्रार्थना का अर्थ प्रार्थना का अर्थ – मालिक की मौज में समर्पित प्रार्थना ईश्वर से मिलने के लिए याचना है। वे आँखें धन्य हैं जिनमें से प्रभु प्रियतम की याद में आँसू के मोती झरते हैं। ईश्वर के समीप लाती है back to आनंद संदेश

अरदास

अरदास रूहानी अरदास पारब्रह्म सतगुरु भगवान, बक्शों भक्ति का वरदान।  मात पिता तुम बंधु सहाई, महिमा तुम्हारी बरनी ना जाए।  तुम बिन देव ना मानूं दूजा, बक्शों चरण कमल की पूजा।  जन्म मरन का संकट हर दो, नाम रतन से झोली भर दो।  नाम जपु तेरा दिन राती, जोत जगे बिन दीपक बाती।  मोह माया … Read more

श्री आरती पूजा क्यों जरूरी है ? आरती का अर्थ क्या है ?

॥ दोहा ॥ श्री आरती-पूजा वन्दना, आराधना प्रति रोज होत सतत् रहे लवलीन जो, भव का नाशे रोग ‘आ-रती’ शब्द का अर्थ  ‘आ-रती’ शब्द का अर्थ है, आत्मा का प्रभु परमात्मा की ओर प्रेम तथा आकर्षण। बाह्य रूप में प्रज्वलित ज्योति से पूजा की जाती है इस प्रज्वलित जोत का गहरा अर्थ है। यह जोत … Read more

मनुष्य की इच्छाएं क्यों नहीं पूरी होती ?

यदि इन सांसारिक वस्तुओं से सुख और शान्ति प्राप्त हो सकती तो इस संसार का समूचा ढाँचा ही विपरीत होता। जो लोग संसार के कोलाहलपूर्ण आमोद-प्रमोद में पूर्णतया निमग्न हैं और जिन्हें प्रयोग के लिए सभी शारीरिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त हैं, सुखी एवं आनन्दमग्न होते। परन्तु देखा यही जाता है कि वे ही सबसे अधिक दुःखी … Read more

सतगुरु की आज्ञा का पालन क्यों जरूरी है

सतगुरु की आज्ञा का पालन हममें असंख्य कमियां हैं और उनमें से अनेकों को हम जानते भी हैं। परन्तु इन कमजोरियों को दूर करना मनुष्य की अपनी सामर्थ्य से बाहर है। इस कार्य के लिए उसे किसी दूसरे की सहायता और निर्देशन की आवश्यकता होती है। क्या उसके सम्बन्धी या मित्र उसकी इस कार्य में … Read more

आनंद के स्त्रोत कहाँ है -संतो ने नट की कथा द्वारा हमे समझाया है

सद्गुरु से दीक्षा लेने वाले शायद प्रारम्भिक अवस्था में ‘शब्द’ का अर्थ अच्छी तरह से नहीं समझ पाते हैं क्योंकि अधिकांशत जिज्ञासुओं की यह सामान्य धारणा होती है कि जब एक बार सद्गुरु किसी साधक को दीक्षा दे देते हैं तो उसके बाद उनकी ज़िम्मेवारी समाप्त हो जाती है। परन्तु हकीकत इसके विपरीत है। वास्तव … Read more

आत्मा-सागर की एक बूंद है

परमेश्वर का निवास शरीर के भीतर है। प्रभु ईसामसीह कहते – हैं, “परमेश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर है।” गुरुवाणी में भी कहा गया है : आतम महि रामु राम महि आतमु । चीनसि गुर बीचारा ॥ जीवात्मा और परमात्मा का सम्बन्ध भी अद्भुत है। जसे जीवात्मा हम में है और उसी तरह परमात्मा भी है … Read more

भक्ति की महिमा क्या है

भगवान श्री राम और भक्त बाली की भक्ति की महिमा बाली का भगवान् राम से प्रश्न करना मुझे एक है शिकारी की भाँति आपने छुपकर बाण मारा, यह कहाँ का है धर्म है? भगवान् भी उसके प्रश्न का उत्तर नीति से ही देते हैं। बाली का भगवान से पूछना -हे भगवन्! आप ही बतायें कि … Read more

नेक कमाई

नेक कमाई की ताकत इसके अलावा कुछ ऊपर से भी पुरस्कार आदि के रूप में आमदनी हो जाती थी। इसलिये वह पठान थोड़े ही समय में खूब मोटाताज़ा भी हो गया और उसने कुछ धन भी जोड़ लिया। ब्राह्मण बेचारा किसी धर्मात्मा मंत्री के यहाँ भोजन पकाने की नौकरी पर लग गया। मंत्री महोदय कुछ … Read more

सद्गुरु और शिष्य

सद्गुरु और शिष्य- सद्गुरु का अपने शिष्य से प्यार कहते हैं-एक महापुरुष अपने शिष्य को साथ लिये हुए मार्ग में जा रहे थे। चलते-चलते उनको एक स्थान पर जंगल में रात काटनी पड़ी। सन्तों ने अपने शिष्य से कहा है: बेटा! जंगल का मामला है, हम और तुम दोनों बारी-बारी से सोयें और जागें। जब … Read more