Mantra || मंत्र – चेतना को परम चेतना तक पहुंचाने का साधन

ईश्वर नाम है उस शक्ति का जो प्रत्यक्ष न होते हुए भी सभी जगह है। पृथ्वी के कण-कण, अणु- अणु में ईश्वर की उपस्थिति दर्ज होती है। फिर भी ईश्वर है या नहीं, इसको लेकर समाज आदि काल से ही दो वर्गों में बंटा है-आस्तिक और नास्तिक आस्तिक ईश्वर की अलौकिक शक्ति को मानते हैं … Read more

दुनिया में किस तरह रहना चाहिए?

दुनिया में किस तरह रहना चाहिए? संसार में ऐसी कोई भी वस्तु तैयार नहीं की गई, जिसकी ज़रूरत न हो या जो बिल्कुल बेकार और फ़ज़ूल हो, सिर्फ मनुष्य को उनका इस्तेमाल अक्ल और विचार के साथ करना चाहिए। आके दुनिया में बशर को, रहना वाजिब किस तरह ? जिस तरह तलाब के , पानी … Read more

मौन ! हमारे लिए क्यों जरूरी है मौन ?

मौन कई प्रकार का होता है। वाणी का मौन यानि मुँह से कुछ न बोलना और आत्मा में जागना और ऐसा देखना की न स्वपन न सुषुप्ति है। ऐसे निश्चय में स्थित रहना तुरीयातीत पद कहलाता है। परम मौन का मतलब इन्द्रियों के रोकने की इच्छा भी न करना और न विचरने की इच्छा करना। … Read more

सच्चे मन से पुकारो भगवान जरूर सुनते हैं।

सच्चे मन से पुकारो मीरा जी जब भगवान कृष्ण के लिए गाती थी तो भगवान बड़े ध्यान से सुनते थे। सूरदास जी जब पद गाते थे भी भगवान सुनते थे। और कहां तक कहूं कबीर जी तो यहां तक कह दिया-चींटी के पग नूपुर बाजे वह भी साहब सुनता है। एक चींटी कितनी छोटी होती … Read more

भक्ति का सुअवसर

भक्ति का सुअवसर दुनिया में हर चीज़ की कमाई का सीज़न होता है। और कमाई के सीज़न में प्रत्येक मनुष्य दिन-रात एक करके काम में लग जाता है। किसान खेती करता है। जब उसकी बिजाई या कटाई का सीज़न आता है, तो वह शरीर के सुख-आराम सब कुछ भूल जाता है । न दिन देखता … Read more

हनुमान जी का रतनमाल तोड़ना

हनुमान जी का रतनमाल तोड़ना दोहा वह शोभा समाज सुख, कहत न बनै खगेश | बरण शारद शेष श्रुति, सो रस जान महेश || काकभुशुण्डि जी बोले- हे गरुड़ जी! जब भगवान श्रीरामचन्द्र जी महाराज सिंहासन पर विराजमान हुए, उस समय की शोभा और उस समाज का सुख वर्णन नहीं किया जा सकता। यद्यपि शेष, … Read more

स्थिरता और योग

स्थिरता और योग स्थिरता और योग के मध्य सीधा सम्बन्ध है। योग का लक्ष्य स्थिरता को प्राप्त करना है। स्थिरता ही योग है। स्थिरता ही हमें धारणा, ध्यान और समाधि में ले जाने वाली है। स्थिरता और योग के विभिन्न सोपान साधक को योग में स्थिरता के विभिन्न सोपानों को क्रमानुसार प्राप्त करना होता है, … Read more

Satguru shayari or status in hindi

Satguru shayari or status ना राम देखा हमने न शाम देखा हमने, सतगुरु के रूप में भगवान देखा हमने… जय हो सगुरुदेव तूं तूं करता तू भया, मुझ में रही न हूं। वारी तेरे नाम तों, जित देखां तित तूं ।। सतगुरु मेरा मेहरांवाला रब दा रूप कहांदा है ,जिथे फिकर ते गम ना कोई … Read more

ईमानदारी – सुख की कल्पना क्या है ?

ईमानदारी ईमानदारी – सुख की कल्पना क्या है, इसका एक उदाहरण देकर स्पष्ट करूंगा। राजा जनक के गुरु थे याज्ञवल्क्य। उनकी दो पत्नियां थीं कात्यायनी और मैत्रेयी। उनके पास अथाह धन था, वैभव था, मान-सम्मान था और वे सर्व-समृद्धि से सम्पन्न थे । याज्ञवल्क्य के मन में विचार आया कि मुझे संन्यास लेना है। उन्होंने … Read more

Inspirational shayari in hindi

Inspirational shayari ज़िंदगी मे अभी तो बहुत चलना बाकी हैं अभी तो कई इंतेहनो से गुज़रना बाकी हैं हमे लड़ना हे ज़िंदगी की सभी मुश्किलो से हमने तो मुठि भर ज़मीन नापी हैं अभी तो हमे सारा जहाँ नापना बाकी हैं…. उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको, खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको, हम तो … Read more

जय सच्चिदानंद जी का अर्थ | jai sachidanand ji

जय सच्चिदानंद जी जय सच्चिदानंद जी जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के हेतु हैं, तथा जो तीनों प्रकार के ताप के नाशकर्ता हैं, उन सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण को हम सब वंदन करते हैं। परमात्मा के तीन स्वरूप- सत्, चित् और आनन्द का वर्णन परमात्मा के तीन स्वरूप शास्त्रों में कहे गये हैं- सत्, … Read more

सिमरण की आदत कैसे डालें

सिमरण की आदत सिमरण से आत्मा की शक्ति उजागर होती है। जितना हो सके सिमरन करो। यह नकरात्मक शक्तिओं से बचाता है। तन और मन दोनों को स्वास्थ्य रखता है। जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है। सिमरन द्वारा हमें अपनी आत्मिक और अन्दरूनी शक्तिओं का बोध होता है। सबके प्रति परोपकार की भावना पैदा करता … Read more