मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है?
मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है? मन तूं जोति सरूपु है आपणा मूलु पछाणु ॥ मन हरि जी तेरै नालि है गुरमती रंगु माणु ॥ मूल पछाणहि तां सह जाणहि मरण जीवण की सोझी होई ॥ गुर परसादी एको जाणहि तां दूजा भाउ न होई ॥ मनि सांति आई वजी वधाई तां होआ परवाणु … Read more