मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है?

मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है? मन तूं जोति सरूपु है आपणा मूलु पछाणु ॥ मन हरि जी तेरै नालि है गुरमती रंगु माणु ॥ मूल पछाणहि तां सह जाणहि मरण जीवण की सोझी होई ॥ गुर परसादी एको जाणहि तां दूजा भाउ न होई ॥ मनि सांति आई वजी वधाई तां होआ परवाणु … Read more

परमात्मा आनन्दरूप है – आनंद का सवरूप क्या है ?

परमात्मा आनन्दरूप है। मन्दिर में श्रीरामजी का दर्शन करते हो, उस समय शायद तुमको ऐसा लगता है कि जैसे मेरे हाथ-पैर हैं, वैसे ही हाथ-पैर ठाकुरजी के भी हैं l ‘कर्मणा निर्मितो देहः। किन्तु परमात्मा स्वयं की इच्छा से या भक्तों की इच्छा से शरीर धारण करते हैं।  परमात्मा का शरीर पञ्चमहाभूतों का बना हुआ … Read more

बुद्धि कैसी होनी चाहिए? महापुरुष हमे बताते है कि..

लोग चार प्रकार की बुद्धि वाले होते हैं। एक बुद्धि होती है जल की लकीर, जो खिंचती तो दिखाई देती है परन्तु साथ-साथ मिटती भीजाती है। ऐसी बुद्धि वाले जीव एक कान से सुनते और दूसरे कान से निकालते जाते हैं।दूसरी बुद्धि है रास्ते की लकीर, जो थोड़ी देर रह कर मिट जाती है। ऐसी … Read more

हितोपदेश

सन्तों के वचन हितोपदेश होते है साध संग संसार में, दुरलभ मनुष सरीर । सतसंगति से मिटत है, त्रिविध ताप की पीर ॥ (सन्त दयाबाई जी) सन्तों के वचन है : संसार की प्रत्येक वस्तु–धन, संपदा, वैभव, परिवार आदि सब कुछ अन्त में बिछुड़ जायेगा; इनमें से कुछ भी परलोक में साथ नहीं जायेगा। इसलिये … Read more

sadhguru darshan – सद्गुरु दर्शन क्यों जरूरी हैं ?

Sadhguru darshan

sadhguru darshan sadhguru darshan-सद्गुरु शान्तस्वरूप तथा माया से अलिप्त होते हैं। मन माया में लिप्त होने के कारण चंचल है। इसलिये मन की चंचलता को दूर करने और मन को शान्त बनाने के लिये सत्पुरुषों की संगति व दर्शन की अति आवश्यकता में है। हम सद्गुरु के दर्शनों को क्यों जाते हैं? इसका भेद अगर … Read more

धन प्राप्ति उपाय – क्यों लगाना चाहिए परमार्थ में धन ..

धन प्राप्ति उपाय

पवित्र धन प्राप्ति उपाय ॥ दोहा ॥  धन के भागी चार हैं, धर्म, चोर, नृप, आग ।। कोपहँ ता पै भ्रात त्रै, करें जो ज्येष्ठहिं त्याग ॥ दूसरे तीनों भाई धर्म की इज़्ज़त करते हैं। जो लोग धर्म में है – धन लगाते हैं उनको यह तीनों भाई कुछ नहीं कहते, क्योंकि वे समझते हैं … Read more