श्री गुरु-वंदना
श्री गुरु-वंदना ॥दोहा॥ सतगुरु सिमरे से सुखी, महा सुखी तिहुँ काल । एक दृष्टि गुरु की पड़े, पल में होय निहाल ॥ जन्म जन्म से भटक कर, पड़ा शरण चरणार । गुण अवगुण देखे नहीं, सतगुरु बख्शनहार ॥ तुमरी महिमा को प्रभु, किस मुख से हम गावै । अल्पबुद्धि हम जीव प्रभु, अंत कहाँ से … Read more