हउमै की आग में जिसने स्वयं को है जारा- कविता
1. हउमै की आग में जिसने स्वयं को है जारा खोकर सुख व चैन फिरता वह मारा मारा । मालिक के वचनों पर जिसने सर्वस्व वारा । छुटकारा पा गमों से जीवन उसने सँवारा । 2. तलबगार है अगर तू सतगुरु की मेहर का । तो देना होगा दिल से सारी हउमै को मिटा । … Read more