Skin allergy se kaise bache in hindi ?

Skin allergy

Skin allergy – एलर्जी इनसान के इम्यून सिस्टम की एक असामान्य प्रतिक्रिया है। परागकण, धूलकण, फफूंद, जानवरों के रोएं, कीटों के डंक, कुछ खाद्यपदार्थ, कैमिकल, दवाइयों आदि से ऐलर्जी हो सकती है।

एलर्जिक राहिनाइिटस (रिनंग नोज)

एलर्जी के कारण

एलर्जी राहिनाइिटस जिसे आमतौर पर हे फीवर भी कहते हैं, यह तब होता है जब हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली हवा में मौजूद तत्त्वों के प्रति ओवररिएक्ट करती है। हमारी रोग प्रतिरोधक प्रणाली को इस से छींकने और बहती नाक जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है।

इन तत्त्वों को एलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्व कहा जाता है, जिस का अर्थ यह है कि ये एलिर्जक रिएक्शन का कारण बनते हैं। कई तरह के एलर्जन जैसे परागकण, मिट्टी, धूलकण, पशुओं के रेशे और कॉकरोच आदि एलिर्जक राहिनाइिटस का कारण बनते हैं।

हालांकि प्रदूषित वायु एलर्जन नहीं होती, पर यह नाक और फैफड़ों को इरिटेट (उत्तेजित) कर सकती है। जब आप एलर्जन में सांस लेते हैं तब इरिटेट नाक या फैफड़ों द्वारा एलर्जिक रिएक्शन का खतरा ज्यादा हो सकता है।

एलर्जी की रोकथाम

विशेषज्ञ एलिर्जक राहिनाइिटस की रोकथाम कैसे की जाए इस के बारे में अभी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति कई तरह के एलर्जन के संपर्क में आता है। धुआं और वायु प्रदूषण भी व्यक्ति को एलर्जी की चपेट में लाने में सहायक होते हैं।

एलर्जी के उपचार

इस का मुख्य उपचार एलर्जन से दूर रहना, लक्षणों को नियंत्रित करना और दवा के साथ साथ घरेलू उपचार और कुछ मामलों में इम्यूनोथेरैपी है। आप को कितनी बार ट्रीटमैंट करवाना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप में कितनी बार इस के लक्षण नजर आए।

एलर्जी की रोकथाम के लिए सावधानियां

एलर्जन से दूरी बनाई जाए। ऐसा करने से आप एलर्जी के लक्षणों को कम कर सकते हैं और बहुत कम दवा के साथ इसे नियंत्रित कर सकते हैं। प्रतिदिन घर की साफ-सफाई जरूरी है ताकि धूल, पालतू पशुओं के रोएं आदि घर में न हों। इस के अलावा तब ज्यादातर घर में ही रहने का प्रयास करें जब हवा में परागकणों की मात्रा ज्यादा होती है।

ऐसे कम करें एलर्जी के लक्षण

इस से संबंधित दवा खाने और होम ट्रीटमैंट लेने से इस के लक्षणों को कम करने में सहायता मिलती है। नासिका मार्ग की सफाई कर के भी लक्षणों को कम कर सकते हैं। इम्यूनोथैरेपी

अगर दवा आप के लक्षणों को कम नहीं करती या उस का साइड इफैक्ट होता है तब डाक्टर आप को इम्यूनोथैरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस ट्रीटमैंट के तहत आप को गोलियां दी जाती हैं, जिनमें थोड़ी मात्रा में कुछ एलर्जन होते हैं। आप का शरीर उन एलर्जन का इस्तेमाल करता है। इसलिए समय के साथ आप का शरीर इन के प्रति कम प्रतिक्रिया करता है। इस तरह का ट्रीटमैंट कुछ तरह की ऐलर्जी से बचाव करता है।

वाटरी आईज

आंखों का पानी आंखों के लुब्रिकेंट्स (चिकनाई) को बनाए रखता है और बाहरी चीजों यानी धूल आदि को आंखों में जाने से रोकता है। जब व्यक्ति की आंखों से अत्यधिक आंसू निकलते हैं तब ये आंसुओं की नलिकाओं को हिला देते हैं, जिस से वाटरी आईज यानी आंखों से पानी बहना शुरू हो जाता है।

वाटरी आईज के कारण

आंखों के आवश्यक तत्त्व पानी, नमक और तेल का जब आंखें सही संतुलन नहीं रख पाती तब ये अत्यधिक सूखी हो जाती हैं। इस के परिणामस्वरूप जलन शुरू होती है, जिस से आंखों में अत्यधिक पानी बनने लगता है और वह आंखों के रास्ते बाहर आता है।

इस के अलावा बंद नलिकाएं, धूल, हवा, एलर्जी, इन्फैक्शन और चोट आदि भी वाटरी आईज का कारण बनते हैं। ज्यादा सर्दी या धूप भी वाटरी आईज के लिए जिम्मेदार होती है। सर्दीजुकाम, साइनस की समस्या और एलर्जी भी इस का कारण बनती है।

ड्राई आईज के कारणों का पता लगाना ही वाटरी आईज के लिए बेहतर उपचार है। हालांकि वाटरी आईज से कोई हानि नहीं होती है पर परेशानी जरूर होती है। अगर आप को इस तरह के लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत आंखों के डाक्टर से मिलें।

  • आंखों से कम दिखना।
  • आंखों में कोई चोट आदि लगना।
  • कोई कैमिकल आंखों में चला जाए।
  • आंखों से खून आने लगा हो या फिर कोई बाहरी चीज आंख में चिपक गई हो।.

सिर में अत्यधिक दर्द हो रहा हो

वाटरी आईज के उपचार

आमतौर पर ज्यादातर मामलों में वाटरी आईज बिना उपचार के भी ठीक हो जाती हैं। लेकिन कई बार स्थिति गंभीर भी बन जाती है। इस के लिए डाक्टर से परामर्श लेना आवश्यक होता है।

डाक्टर इस के लिए आई ड्रॉप्स लिखते हैं वाटरी आईज के लिए जिम्मेदार एलर्जी का उपचार कर के इस समस्या को रोका जाता है।

  • अगर आई इन्फैक्शन है तो इस के लिए एटीबायोटिक्स दी जाती हैं।
  • गरम तौलिया आंखों पर कई बार रखा जाता है जो बंद नलिकाओं को खोलने में सहायता करता है।
  • बंद नलिकाओं को साफ करने के लिए सर्जरी का भी सहारा लिया जाता है।

पैनफुल थ्रोट (दर्द भरा गला)

गले में दर्द एक आम समस्या है, जिस का सामना हर व्यक्ति कभी न कभी करता है। इस का लक्षण गले में दर्द से ले कर दांतों में दर्द तक कोई भी हो सकता है। आमतौर पर गले के दर्द को इन्फैक्शन या एलर्जी के संकेत के रूप में देखा जाता है। अगर गले में दर्द ज्यादा है या फिर खानेपीने या सांस लेने में दिक्कत आ रही हो, तो डाक्टर से परामर्श लें।

पैनफुल थ्रोट के कारण

गले के दर्द के लिए कई कारण जिम्मेदार होते हैं। जब गले में दर्द होता है तब आप को इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। गले की सूजी ग्रंथियां।

  • गले में चोट।
  • इसोफेजियल में घाव के निशान।
  • कान में इन्फैक्शन।

गले में दर्द के सामान्य कारणों में हैं, कोल्ड, फ्लू, क्रोनिक कफ, एसिड रिफ्लक्स डिजीज, गले में इन्फैक्शन, टौंसिल्स, गले को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्यपदार्थ आदि।

पैनफुल थ्रोट के उपचार

इस का उपचार दर्द के कारण पर निर्भर करता है। आमतौर पर डाक्टर गले के इन्फैक्शन, टौंसिल्स, मुंह में इन्फैक्शन आदि के लिए एटीबायोटिक की सलाह देते हैं।

कई बार डाक्टर एंटीएलिर्जक एंटीबायोटिक देने से पहले गले को सुन्न करने के लिए नंबिंग माऊथवाश देते हैं। थ्रोट स्प्रे से भी इस का उपचार किया जाता है। अगर किसी को टौंसिल्स की वजह से बारबार गले की समस्या होती या टौंसिल्स पर दवा का असर नहीं होता है तब डाक्टर उन्हें सर्जरी द्वारा रिमूव करने की सलाह देते हैं।

स्किन एलर्जी

स्किन एलर्जी यानी त्वचा एलर्जी आमतौर पर महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है। आमतौर पर जिन की त्वचा अत्यधिक सैंसिटिव होती है, उन्हें स्किन एलर्जी का ज्यादा खतरा रहता है। जब त्वचा को कोई खास चीज सूट नहीं करती तब उस पर एलर्जी उत्पन्न हो जाती है।

ऐसे में उन चीजों से दूर रहने की जरूरत होती है। त्वचा पर खुजलाहट, जलन, दाने निकलना, त्वचा का लाल होना आदि समस्याएं दिखाई दें तो समझना चाहिए कि यह स्किन एलर्जी या कौंटैक्ट डमैंटाइिटस की समस्या है।

स्किन एलर्जी के लक्षण

कौंटैक्ट डमैंटाइिटस की शिकायत होने पर जैसे ही एलिर्जक तत्त्व के संपर्क में शरीर आता है, तो जल्द ही या फिर कुछ घंटों के भीतर त्वचा का लाल होना, खुजली, जलन, गरम हो जाना, फुंसियां होना, छाले पड़ना, सूजन, दर्द आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

प्लास्टिक, धातु, चमड़े आदि की ऐलर्जी की वजह से घाव हो सकते हैं। कान या नाक कृत्रिम आभूषण पहनने से पक सकती है। जूतेचप्पल के काटने से उस जगह घाव हो जाता है और फिर उस से पानी निकलना शुरू हो जाता है।

एलिर्जक तत्त्व से संपर्क हटने के बाद कुछ दिनों में त्वचा सामान्य हो जाती है। किसी-किसी की त्वचा पर यह एलर्जी काफी गंभीर हो जाती है। लगातार एलर्जी होने पर वह गंभीर त्वचा रोग में बदल जाता है।

स्किन एलर्जी के कारण

कैमिकल युक्त चीजें जैसे बिंदी, खराब क्वालिटी के सौंदर्य प्रसाधन जैसे लिपिस्टक, नैलपॉलिश, हेयरडाई, सिंदूर, फैसक्रीम, शेविंग क्रीम, साबुन, परफ्यूम, दवा, पेंट, पॉलिश, टूथपेस्ट आदि स्किन एलर्जी के कारण हैं।

कृत्रिम आभूषण, चश्मों के फेरम, घड़ी का पट्टा, जूतेचप्पल, वाशिंग पाऊडर, कलर, प्लास्टिक, स्याही, गाड़ी का स्टैयरिंग, पैट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, मोबिल ऑयल, नए या पुराने नोट, सिक्के आदि भी स्किन एलर्जी के कारक हो सकते हैं।

स्किन एलर्जी के उपचार

कौंटैक्ट डमैंटाइिटस से बचने का कौंटैक्ट डमैंटाइिटस से बचने का सब से सही और आसान उपाय है, जिस चीज से त्वचा पर एलर्जी होती है, उस चीज को नोट कर के रखें और फिर उस का इस्तेमाल करना बंद कर दें।

जब वह चीज त्वचा के संपर्क में नहीं आएगी तो कौंटैक्ट डमैंटाइिटस की परेशानी उत्पन्न नहीं होगी। खानपान में परहेज करें, अधिक मात्रा में खट्टी चीजें, अधिक मिर्चमसाला, तैलीय चीजें, बासी खाना आदि का इस्तेमाल न करें।

त्वचा की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। त्वचा अधिक संवेदनशील होने पर इनर वस्त्र सुबहशाम दोनों समय बदलें, शर्टपैंट रोजाना बदलें। दूसरों के बिस्तर, तौलिए, कपड़ों आदि का इस्तेमाल न करें। नई-नई चीजों से शरीर में एलर्जी होने पर डाक्टर को अवश्य दिखाएं।

कोई भी नया कौस्मैटिक इस्तेमाल करने से पहले उसे थोड़ा सा कलाई पर लगा कर सो जाएं। यदि सुबह तक उस जगह जलन या लालपन न हो तभी उस का इस्तेमाल करें।

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