पुस्तकों से ज्ञान

॥ कविता ॥ – पुस्तकों से ज्ञान

  1. पुस्तकों से ज्ञान कितना भी कर लो अर्जित,
    सब थोथा है, पूरे सतगुरु बिना ।
    केवल गुरु ही हैं सच्चे ज्ञान के दातार भण्डार,
    आकर चरणों में उनके अज्ञानता ले मिटा ।
  2. गुरु द्वार आकर ले तालीम सच्चे ज्ञान की,
    धार गरीबी मन में ले दात पावन नाम की।
    आलस्य को त्याग, कर सेवा गुरु दरबार की,
    उम्र भर कर ले बन्दगी सच्चे करतार की ।
  3. मस्त रह मस्ती में मत दुनिया का ध्यान कर,
    अविद्या का पर्दा हटा गुरु शब्द को याद कर ।
    प्रेम का प्याला पी वासनाएं सब त्याग कर,
    हरि से मिलकर एक हो जा बंधन सारे काटकर।

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