आत्मा पृथ्वी पर बार-बार क्यों आती है ?

आत्मा पृथ्वी पर बार-बार क्यों आती है ? उत्तर -आत्मा अपने मूल स्थान अर्थात् परमात्मा से मिलने के लिए व्यथित एवं बेचैन रहती है। कोई भी इच्छा भौतिक या आध्यात्मिक यदि वह निष्कपट, सच्ची एवं तीव्र हो तो अवश्य पूर्ण होगी। निश्चय ही हमारी चाहत में कोई कमी ज़रूर होती है, जिससे आत्मा पृथ्वी पर … Read more

सुरत शब्द योग – सतगुरु प्रेमिओं के लिए ध्यान करने का तरीका

सुरत शब्द योग का अर्थ सुरत शब्द योग सुरत का अर्थ – आत्मा , शब्द का अर्थ – नाम (जो सतगुरु द्वारा हमे मिला है ) , योग का अर्थ – मिलन (आत्मा का परमात्मा से मिलान ) जो प्रक्रिया आत्मा को अपने मूल स्त्रोत परमात्मा की ओर ले जाये उस अन्तर्मुखी प्रक्रिया को सुरत … Read more

Bhakti – भक्ति क्या है और कैसे पैदा होती है?

भक्ति क्या है – भक्ति का सवाल आम लोगों के ख्याल में आसान और मामूली मालूम हो परन्तु जो समझने वाले हैं, वे इसको किसी और ही निगाह से देखते हैं। कम से कम उनके सामने इसका जवाब ज़रूरी समझा जाता है और संसार में आम तौर पर जहाँ जहाँ भी भक्ति के कारोबार का … Read more

Saint – सन्त किसे कहते हैं और उनकी क्या ज़रूरत है?

सन्त किसे कहते हैं ? यह एक ऐसा सवाल है जो अक्सर आदमियों के दिल में गुज़रता रहता है। मगर इससे पहले कि आप इसे अच्छी तरह समझ सकें, चन्द बातें आपको इन्सान के सम्बन्ध में बतला देनी ज़रूरी हैं। यह तो हर शख्स मानता है कि मनुष्य जन्म चौरासी लाख योनियों में से उत्तम … Read more

सतगुरु कृपा कैसे होती है ?

सतगुरु कृपा – सतिगुरु होइ दइआलु त सरधा पूरीऐ सतगुरु कृपा – सद्गुरु की कृपा में ही सारी खुशियां निहित हैं। उनके चरणों में सब सुख समाए हुए हैं। जो भी इनका आश्रय लेता है उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहता। वह निर्भय पद को प्राप्त करता है। गुरुवाणी में सद्गुरु की दया की … Read more

क्या है दिव्य संगीत – संगीत का अतुलनीय आनन्द

दिव्य संगीत आत्म-विज्ञान जो मनुष्य और उसके निर्माता से सम्बन्धित है, उतना ही प्राचीन है, जितनी यह सृष्टि। यह एक ऐसा सत्य है जो सदा से चलता आ रहा है और भविष्य में भी सदा चलता ही रहेगा। संभवतः यही एकमात्र ऐसा विज्ञान है जो स्वरूपतः पूर्ण है, जिसमें किसी परिवर्तन की संभावना नहीं और … Read more

सुंदर जीवन

जब आप अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं, तो आप इसे कुरूपता को जगह क्यों दें? जब आप इसे आश्चर्यजनक रूप से सुगंधित बना सकते हैं, तो आप किसी भी चीज को उस सुगंध से क्यों प्रभावित होने दें? जब आप इसे चमकदार और दीप्तिमान बना सकते हैं, तो आप अपने आप को उस … Read more

कर्म सिद्धांत की व्याख्या – प्रश्नावली

कर्म सिद्धांत की व्याख्या प्रश्न 1 . भगवान् के अवतार प्रभु श्रीराम, ईसा मसीह और बुद्ध जैसे महापुरुषों को दुःख क्यों उठाने पड़े? क्या उनके कोई अशुभ कर्म थे? यदि सन्त महापुरुष सब गुणों से ऊपर होते हैं, तो वे शारीरिक दुःख-कष्टों से पीड़ित क्यों दिखाई देते हैं? उत्तर– जब सन्त इस संसार में आते … Read more

वाणी की मधुरता

वाणी की मधुरता

वाणी की मधुरता हमें अपनी वाणी पर पूर्ण नियन्त्रण रखना चाहिए। बिना सोचे विचारे कोई भी शब्द अपनी जिवा पर नहीं लाना चाहिए। शस्त्र द्वारा किया गया घाव तो समय पाकर भर जाता है लेकिन अनुचित शब्द बोलकर किया गया घाव जीव को मरते दम तक दुःख देता रहता है। इसलिए पहले तोलो फिर बोलो। … Read more

नकारात्मक विचारों से कैसे बचें

विचारों से कैसे बचें सुखमनी साहिब में वर्णन आया है साथि न चालै बिनु भजन बिखिआ सगली छारु ॥ हरि हरि नामु कमावना नानक इहु धनु सारु ॥ फ़रमाते हैं कि केवल नाम का धन ही है जो आत्मा के साथ जाता है। बाकी जगत का सारा पसारा मिथ्या व नश्वर है। सब यहीं का … Read more

सत्य और असत्य क्या है ?

सत्य और असत्य की परख गुरुमुखो! शास्त्रों में लिखा है ‘सत्यमेव जयते’। सत्य की सदैव विजय होती है और यह सत्य वस्तु क्या है ? यह सत्य वस्तु है मालिक का नाम। जिसके हृदय में नाम का वास होता है, वही सच्चा पुरुष है और उसकी वाणी भी सत् होती है। आसा दी वार में … Read more

श्री परमहंस दयाल जी का गृहत्याग

श्री परमहंस जी का गृहत्याग पिता और धर्मपिता दोनों के सम्बन्धी आपको दोनों परिवारों की सम्पत्तियों का उत्तराधिकारी बनाने के लिए। पगड़ी आदि लेकर पीछे पड़े परन्तु आपने सबसे पल्ला छुड़ा लिया। अब आप पूर्ण स्वतन्त्र थे। बोले, ‘कुदरत को यह बात मन्जूर नहीं। उसने हमको किसी विशेष काम के लिए पैदा किया है, इसलिए … Read more