जय सच्चिदानंद जी का अर्थ | jai sachidanand ji

जय सच्चिदानंद जी जय सच्चिदानंद जी जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के हेतु हैं, तथा जो तीनों प्रकार के ताप के नाशकर्ता हैं, उन सच्चिदानन्दस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण को हम सब वंदन करते हैं। परमात्मा के तीन स्वरूप- सत्, चित् और आनन्द का वर्णन परमात्मा के तीन स्वरूप शास्त्रों में कहे गये हैं- सत्, … Read more

सिमरण की आदत कैसे डालें

सिमरण की आदत सिमरण से आत्मा की शक्ति उजागर होती है। जितना हो सके सिमरन करो। यह नकरात्मक शक्तिओं से बचाता है। तन और मन दोनों को स्वास्थ्य रखता है। जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है। सिमरन द्वारा हमें अपनी आत्मिक और अन्दरूनी शक्तिओं का बोध होता है। सबके प्रति परोपकार की भावना पैदा करता … Read more

जब ध्यान न लगे, तब हम क्या करें

—— जब ध्यान न लगे, तब हम क्या करें —— एक बार संत कबीर साहब जी का एक शिष्य उनसे मिलने आया। उसके चेहरे पर गहरी उदासी साफ दिख रही थी। वो मुरझाया हुआ चेहरा लेकर कबीर जी को प्रणाम करके वहां बैठ गया। कबीर जी ने उससे उसकी मायूसी का कारण पूछा। शिष्य ने … Read more

सेवा-समर्पण का पर्व है गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा का सनातन परम्परा में गुरु का बहुत महत्व है। गुरु का आशीर्वाद ही कल्याणकारी एवं ज्ञानवर्धक समझा जाता है। चारों वेदों के व्याख्याता व्यास ऋषि थे। हमें वेदों का ज्ञान देने वाले व्यास जी ही हैं। इसी कारण वे हमारे आदि गुरु हुए। विद्वानों का कथन है कि व्यास जी की … Read more

Guided Meditation in hindi ! सुमिरण और ध्यान कैसे करें

Guided Meditation – सुमिरण ध्यान करने की सटीक विधि Guided Meditation in hindi बैठ कर एकांत में योगी, मन इन्द्रियों को वश करे । भय कामना सभी त्याग कर, परमेश्वर का ध्यान धरे ॥ कुशा हो अथवा मृगछाला, उसके ऊपर वस्त्र बिछावे । समतल स्वच्छ एकांत भूमि में, आसन योगी बनावे ॥ मन स्थिर कर … Read more

बूझो तो जाने

बूझो तो जाने – दोहा सांझ पड़ी दिन ढल गया, बाघन घेरी गाय । गाय बिचारी न मरै, बाघ न भूखा जाय ॥ (कबीर वाणी) भावार्थ – वृद्धावस्था-रूपी सांझ आते ही जीवनरूपी सूर्य ढलने लगा तो काल रूपी बाघ सिर पर आ खड़ा हुआ और जीवन-रूपी गाय को घेर कर उसका शिकार कर गया । … Read more

क्या आप जानते हैं आत्मा की अवस्थाएँ कौन कौन सी होती है ?

हमारी आत्मा की अवस्थाएँ क्या आप जानते हैं – कि वेदादि ग्रंथों में हमारी आत्मा की पाँच अवस्थाएँ वर्णित हैं— (1) जागृत, (2) स्वप्न, (3) सुषुप्ति, (4) तुरीय, (5) तुरीयातीत, इसके आगे सर्वोपरि ‘परमहंस अथवा ब्राह्मी पद है। कि आत्मा अपनी छटी ब्राह्मी अवस्था में शुद्ध चेतन रूप होकर पूर्ण परब्रह्म में अद्वैत हो जाती … Read more

कई बार हम अत्यन्त प्रयत्न करने पर भी असफल हो जाते है,ऐसा क्यों ?

अत्यन्त प्रयत्न उत्तर – प्रयत्न कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। यदि एक पत्थर ग्यारह बार चोट लगाने पर टूटता है तो तुम्हें ग्यारह चोटें लगानी पड़ेंगी। यदि ग्यारहवीं चोट से पहले तुम कहो कि यह पत्थर टूटता क्यों नहीं, तो यह तुम्हारी कमज़ोरी है। इसीप्रकार मनुष्य को जीवन में निरन्तर आध्यात्मिक प्रयत्न करते रहना चाहिये। … Read more

जब परमात्मा प्रत्येक के हृदय में निवास करते हैं, तो हम बुरे कर्म कैसे करते हैं?

उत्तर -यह सत्य है कि परमात्मा प्रत्येक के हृदय में निवास करते हैं। जब व्यक्ति बुरे कर्म करने में तत्पर होता है, तो सबसे पहले उसका अन्तःकरण उसे सचेत करता है कि यह गलत है, तुम यह क्या कर रहे हो। लेकिन वह व्यक्ति अन्तःकरण की आवाज़ की ओर ध्यान ही नहीं देता। पवित्र आत्मा … Read more

क्या यह सत्य है कि मृत्यु के समय सद्गुरु उसकी रक्षा करेंगे?

क्या यह सत्य है क्या यह सत्य है कि जिसने नाम-दीक्षा ग्रहण की हो वह चाहे कैसे भी कर्म क्यों न करे, मृत्यु के समय सद्गुरु उसकी रक्षा करेंगे? उत्तर – यदि हम सद्गुरु की आज्ञा मौज में चलते हुए भजनाभ्यास करते हैं, तो सद्गुरु अवश्य ही हमें निजधाम ले जायेंगे, लेकिन हम इसका दावा … Read more

यदि कोई बुरा भी करे तो हमें शान्त क्यों रहना चाहिये?

उत्तर : – जो तोको काँटा बुवै, ताहि बोव तू फूल । तोहि फूल को फूल हैं, वाको है तिरसूल ॥ कोई बुरा भी करे तो हमें शान्त रहना चाहिये क्यूंकिकुदरत प्रत्येक बुरे कर्म का फल या दण्ड देती है। मनुष्य को यह कुदरत पर छोड़ देना चाहिये। यदि किसी ने अपराध किया है तो … Read more

सत्संग का प्रभाव हमारे जीवन पर कैसे पड़ता है ?

कई मनुष्य नियम से सत्संग में जाते हैं। उनका व्यवहार और व्यक्तित्व ठीक नहीं होता, तब सुसंगति का क्या महत्त्व हुआ? सत्संग का प्रभाव उत्तर – जिस वातावरण में मनुष्य रहता है उसका प्रभाव उसके मन पर स्थायी रूप से पड़ता है। जिस समाज में रहता है। वहाँ के व्यवहार, वाणी और उसी प्रकार के … Read more