आत्मा-सागर की एक बूंद है

परमेश्वर का निवास शरीर के भीतर है। प्रभु ईसामसीह कहते – हैं, “परमेश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर है।” गुरुवाणी में भी कहा गया है : आतम महि रामु राम महि आतमु । चीनसि गुर बीचारा ॥ जीवात्मा और परमात्मा का सम्बन्ध भी अद्भुत है। जसे जीवात्मा हम में है और उसी तरह परमात्मा भी है … Read more

भक्ति की महिमा क्या है

भगवान श्री राम और भक्त बाली की भक्ति की महिमा बाली का भगवान् राम से प्रश्न करना मुझे एक है शिकारी की भाँति आपने छुपकर बाण मारा, यह कहाँ का है धर्म है? भगवान् भी उसके प्रश्न का उत्तर नीति से ही देते हैं। बाली का भगवान से पूछना -हे भगवन्! आप ही बतायें कि … Read more

नेक कमाई

नेक कमाई की ताकत इसके अलावा कुछ ऊपर से भी पुरस्कार आदि के रूप में आमदनी हो जाती थी। इसलिये वह पठान थोड़े ही समय में खूब मोटाताज़ा भी हो गया और उसने कुछ धन भी जोड़ लिया। ब्राह्मण बेचारा किसी धर्मात्मा मंत्री के यहाँ भोजन पकाने की नौकरी पर लग गया। मंत्री महोदय कुछ … Read more

सद्गुरु और शिष्य

सद्गुरु और शिष्य- सद्गुरु का अपने शिष्य से प्यार कहते हैं-एक महापुरुष अपने शिष्य को साथ लिये हुए मार्ग में जा रहे थे। चलते-चलते उनको एक स्थान पर जंगल में रात काटनी पड़ी। सन्तों ने अपने शिष्य से कहा है: बेटा! जंगल का मामला है, हम और तुम दोनों बारी-बारी से सोयें और जागें। जब … Read more

अनमोल वचन – प्रेरणा और शिक्षा प्रदान करने वाले

अनमोल वचन दुनिया चाहे आपको कितना भी हारा हुआ माने लेकिन आप कभी अपनी नजरों में हार मत मानना । संतो के अनमोल वचन स्वाभाविक ही सुमिरण होने लगे तो मन सुमिरण है। 6.) दाद को खुजलाने में पहले सुख प्रतीत होता है, परन्तु बाद में असह्य कष्ट होता है। उसी प्रकार शरीर-इन्द्रियों के भोग … Read more

सत्संग का अर्थ क्या है?

सत्संग का अर्थ क्या है? सत्संग एक अमूल्य निधि है नीम का वृक्ष चन्दन के वृक्ष के समीप होने से सुगन्धित हो जाता है और जो कुछ भी नमक की खान में जाता है वह नमक बन जाता है। इसी प्रकार यह भी अटल सत्य है कि जो भी सन्त-महापुरुषों की शरण संगति ग्रहण करता … Read more

सच्ची शान्ति कहाँ है? मनुष्य शान्ति शान्ति चिल्लाते है परन्तु

सच्ची शान्ति सच्ची शान्ति – मनुष्य शान्ति ! शान्ति! चिल्लाते हैं और इसकी खोज वह वहाँ करते हैं जहाँ शान्ति है ही नहीं। इसके विपरीत उन्हें मिलता क्या है? अशान्ति, चिन्ता और क्लेश। ज्ञान जो अहमन्यता के त्याग से अविछिन्न रूप से जुड़ा हुआ है के अतिरिक्त सच्ची एवं स्थायी शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती … Read more

मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है?

मनुष्य क्या है? क्या यह शरीर है? मन तूं जोति सरूपु है आपणा मूलु पछाणु ॥ मन हरि जी तेरै नालि है गुरमती रंगु माणु ॥ मूल पछाणहि तां सह जाणहि मरण जीवण की सोझी होई ॥ गुर परसादी एको जाणहि तां दूजा भाउ न होई ॥ मनि सांति आई वजी वधाई तां होआ परवाणु … Read more

परमात्मा आनन्दरूप है – आनंद का सवरूप क्या है ?

परमात्मा आनन्दरूप है। मन्दिर में श्रीरामजी का दर्शन करते हो, उस समय शायद तुमको ऐसा लगता है कि जैसे मेरे हाथ-पैर हैं, वैसे ही हाथ-पैर ठाकुरजी के भी हैं l ‘कर्मणा निर्मितो देहः। किन्तु परमात्मा स्वयं की इच्छा से या भक्तों की इच्छा से शरीर धारण करते हैं।  परमात्मा का शरीर पञ्चमहाभूतों का बना हुआ … Read more

बुद्धि कैसी होनी चाहिए? महापुरुष हमे बताते है कि..

लोग चार प्रकार की बुद्धि वाले होते हैं। एक बुद्धि होती है जल की लकीर, जो खिंचती तो दिखाई देती है परन्तु साथ-साथ मिटती भीजाती है। ऐसी बुद्धि वाले जीव एक कान से सुनते और दूसरे कान से निकालते जाते हैं।दूसरी बुद्धि है रास्ते की लकीर, जो थोड़ी देर रह कर मिट जाती है। ऐसी … Read more

हितोपदेश

सन्तों के वचन हितोपदेश होते है साध संग संसार में, दुरलभ मनुष सरीर । सतसंगति से मिटत है, त्रिविध ताप की पीर ॥ (सन्त दयाबाई जी) सन्तों के वचन है : संसार की प्रत्येक वस्तु–धन, संपदा, वैभव, परिवार आदि सब कुछ अन्त में बिछुड़ जायेगा; इनमें से कुछ भी परलोक में साथ नहीं जायेगा। इसलिये … Read more

sadhguru darshan – सद्गुरु दर्शन क्यों जरूरी हैं ?

Sadhguru darshan

sadhguru darshan sadhguru darshan-सद्गुरु शान्तस्वरूप तथा माया से अलिप्त होते हैं। मन माया में लिप्त होने के कारण चंचल है। इसलिये मन की चंचलता को दूर करने और मन को शान्त बनाने के लिये सत्पुरुषों की संगति व दर्शन की अति आवश्यकता में है। हम सद्गुरु के दर्शनों को क्यों जाते हैं? इसका भेद अगर … Read more