क़ामिल मुर्शिद शायरी ! kamil murshid shayri in hindi

क़ामिल मुर्शिद शायरी – मेरे दिल में दिल का प्यारा है मगर मिलता नहीं । 

क़ामिल मुर्शिद शायरी

मेरे दिल में दिल का प्यारा है मगर मिलता नहीं । 

हर शै में उसका नज़ारा है मगर मिलता नहीं ॥

 ढूँढता फिरता हूँ उसको दर-ब-दर और कूब्कू । 

हर जगह वो आश्कारा है मगर मिलता नहीं ॥

 ऐ रकीबो गर खबर हो तो लिल्लाह दो जवाब ।

 मेरे घर में मेरा प्यारा है मगर मिलता नहीं ॥

 शैख ढूँढे है हरम में और ब्राह्मण दैर में ।

 हर जगह उसको पुकारा है मगर मिलता नहीं ॥

 मैं पड़ा ज़ख्मी तड़पता हूँ फिराके यार में ।

 तीरे मीजगां उसने मारा है मगर मिलता नहीं ॥

 मेरे अन्दर वो ही खेले और खिलावे मुझको वो ।

 घर में ही मेरा दुलारा है मगर मिलता नहीं ॥

 क्या करें कुछ बस नहीं ‘अनवर’ यहाँ लाचार है ।

 पास वह दिलबर हमारा है मगर मिलता नहीं ॥

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