गैर तो मंगी न गुरु तो संगी न | gair to mangi na guru to sangi Lyrics

भजन – गैर तो मंगी न गुरु तो संगी न

तर्ज़ – बिन्दिया चमकेगी।

टेक- गैर तो मंगी न – गुरु तो संगी न बेअन्त रहमतां कर दे ने। गुरु भण्डारी ने – पर उपकारी ने झोली नाम दात नाल भरदे ने गैर तो मंगी न..

  1. जेहड़ा गैर तो मंगे सिर ओहदा शर्म नाल झुक जांदा, मंग मंगिए सदा सत्गुरु तो कि पैण्डा मुक जांदा, स्वार्थ भरी गैर दी दुनिया सत्गुरु परंम स्नेही । गैर तो मंगी न..
  2. नश्वर चीजां दी मंग करे दुनिया न जाने ढंग मंगन दा, भक्ति रत्न लै करदे यत्न प्रेमी मन रंगन दा, चरण कमल दे नाल निरन्तर सुरत जिन्हा ने जोड़ी। गैर तो मंगी न..
  3. देवी देवते सदा दे हक मंगदे सदा ललचांन्दे ने, प्याला नाम दा जीन्हू पी के प्रेमी अमर पद पौन्दे ने, ओ मतवाला नाम दा प्याला मिलेगा गुरु दर तों ही । गैर तो मंगी न..
  4. झोली अड्डी ना गैर दे अगे ओ विच डूबौन्दे ने, मंग मंगनी ते मंग सदगुरु तों जो पार लंघौन्दे ने, रहमत करदे कदी न थक दे सत्गुरु । गैर तो मंगी न….
  5. औखी घाटी स्वर्ग दे झूटे दिलों सवाल कहीं ना, भावै झिडकां देवन भावे घक्के गुरु दा दर छड्डी न गैर दे हलवे तो चंगी गुरु दर दी रोटी सुक्की गैर तो मंगी न..
  6. सत्गुरु दाता जगत दे त्राता धूरां दे अधिकारी ने, मुक्ति मंग ले त भक्ति मंग ले सदा जो सुखकारी, समय दा लाभ उठालै दासा कर ले सफल नर देही। गैर तो मंगी न..

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