विनती – श्री नंगली साहिब
औगनहार की बेनती सुनो ग़रीब निवाज़। जे मैं पूत कपूत हूं बहुड़ पिता को लाज ।। नहीं विद्या नहीं बाहु बल नहीं ख़रचन को दाम । ‘तुलसी’ मो सम पतित की पत राखो श्री राम ।। अवसर राखी द्रौपदा संकट ज्यों प्रह्लाद । कहन सुनन की कछु नहीं शरण पड़े की लाज ।। गुरु जी … Read more