Kainchi Dham | कैंची धाम – नीम करोली बाबा की तपोभूमि

कैंची धाम - नीम करोली बाबा की तपोभूमि

Kainchi Dham | कैसे जाएं और कब जाएं कैंची धाम?

सन्त-महापुरुष जीवों की भलाई के लिए ही संसार में अवतरित होते हैं, जैसे कि नीम करोली बाबा जी इस संसार में अवतरित हुए; जीवों की भलाई के लिये कितने-कितने कार्य उन्होंने किए ऐसे महापुरुषों की बहुत कृपा है कि वो इस धरती पर आते हैं।

उनका मानना है कि-

जो भी इन्सान इस संसार में आया है, वह ख़ुद इस बात को नहीं समझ पाता कि मेरा भला, मेरी भलाई किसमें है। जैसे बालक को माता- पिता ही समझाते हैं, उनकी जितनी भी कोशिश होती है, बालक को सही रास्ते पर लगाने के लिए, उसे सुखी बनाने के लिए ही होती है। तो उसी तरह महापुरुषों की भी जितनी कार्यवाही होती है, वह अपनी शरण में आए हुए गुरुमुख- सज्जनों को सही रास्ता बताने के लिए, उन्हें सुखी बनाने के लिए, उनके उद्धार के लिए, कल्याण के लिए ही होती है।

कैंची धाम: नीम करोली बाबा की तपोभूमि

Kainchi Dham

कैंची धाम भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जो भगवान नीम करोली बाबा के नाम पर प्रसिद्ध है। यह स्थल नैनीताल माहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह एक प्रसिद्ध पितगांव में है, जो नैनीताल और आत्मोड़ा के बीच सड़क पर है।

Kainchi Dham – प्राचीन इतिहास

कैंची धाम का इतिहास बहुत प्राचीन है और यह तीर्थ स्थल भगवान शिव के एक प्राचीन मंदिर के आसपास बसा है। यहां के मंदिर का निर्माण भगवान नीम करोली बाबा के श्रद्धातुओं द्वारा किया गया था, और इसका उद्घाटन 20वीं सदी में हुआ था।

कैंची धाम से जुड़ी अहम प्राचीन कथा

कैंची धाम का एक अहम प्राचीन कथा भी जुड़ी है, जिसमें कहा जाता है कि भगवान नीम करोली बाबा ने यहां तपस्या की थी और उनके चमत्कारी लीलाओं का साक्षात्कार किया गया था। इस कथा के आधार पर कैची धाम एक धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व का स्थत है जहां लोग भगवान की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए आते हैं।

मुख्य मंदिर भगवान नीम करोली बाबा को समर्पित

कैंची धाम का मुख्य मंदिर भगवान नीम करोली बाबा को समर्पित है और यहां पर उनकी मूर्ति सुखदं वस्त्रों में आदरित की जाती है। मंदिर के पास एक छोटी सी कैची होती है, जो कैंची धाम के नाम का स्रोत है।

शांतिपूर्ण और प्राकृतिक वातावरण

कैंची धाम के आस-पास आपको शांतिपूर्ण और प्राकृतिक वातावरण मिलता है, जो योग और ध्यान के लिए अद्वितीय रूप से उपयुक्त है। यहां पर कई साधक और आध्यात्मिक गुरुओं के आश्रम भी हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक जीवन के मार्ग पर गाइड करते हैं।

कैंची धाम एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल

कैंची धाम एक धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक सौंदर्य के साथ एक आश्रय भी है जो आवागमन करने वालों को आत्मा की शांति और सुखद अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।

धार्मिक और पर्यटन स्थल

कैची धाम के प्रति विश्वभर से लोग आते हैं और इसे भगवान नीम करोली बाबा की कृपा और आशीर्वाद का स्थल मानते हैं। इसके रूप में, केची धाम एक महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है जो लोगों के लिए ध्यान और साधना के लिए एक आश्रय प्रदान करता है।

Kainchi Dham Kaise Jaye

कैंची धाम धार्मिक तीर्थ स्थलों में से एक है और काफी और बहुत प्रसिद्ध है। यह धाम प्रसिद्ध बाबा नीम करोली जी के द्वारा स्थापित किया गया है। यह बहुत शांति पूर्ण स्थल है यहां पर लोग अपनी मानसिक शांति को प्राप्त करने के लिए आते हैं यह आध्यात्मिक केंद्र के नाम से जाना जाता है जो कि उत्तराखंड के पहाड़ों पर स्थित है।

कुछ वर्षों से कई जानी-मानी हस्तियां देश-विदेश से नीम करोली बाबा के आश्रम आ रहे हैं बहुत से सेलिब्रिटीज भी चाहे क्रिकेट जगत से हो या मनोरंजन जगत से हो नीम करोली बाबा के आश्रम आते हैं और कई जाना भी चाहते हैं

कैंची धाम कैसे पहुंचे?

कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल शहर के समीप है।यह नैनीताल से लगभग 17 किमी दूरी पर स्थित है ।यहां पर सड़क के मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

दिल्ली से नैनीताल लगभग 324 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यात्रा तय करने में लगभग 6 से 7 घंटे का वक्त लगता है उसके बाद का सफर सड़क मार्ग द्वारा किया जा सकता है।

यहां पर आप हवाई यात्रा द्वारा यदि आना चाहते हैं तो कैंची धाम के सबसे ज्यादा करीब 70 किमी दूरी पर पंतनगर का हवाई अड्डा स्थित है वहां से कैंची धाम पहुंचने के लिए आपको टैक्सी या बस द्वारा सफर करना पडे़गा।

यदि ट्रेन द्वारा कैंची धाम का सफर करना चाहते हैं तो वहां का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो की कैंची धाम से 38 किलोमीटर की दूरी पर है।

कब जाए नीम करोली आश्रम

यदि आप नीम करोली बाबा के आश्रम जाना चाहते हैं तो मार्च से जून या सितंबर से नवंबर तक का समय बाहर जाने के लिए सही रहेगा ।इन महीनो में वहां का मौसम सुहावना होता है।

मानसून के दिनों मे जैसे जुलाई से अगस्त में वहां पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण जाने से बचना चाहिए।

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