प्रेम बिना फिरती नहीं है माला हरी के नाम की
प्रेम बिना फिरती नहीं है, माला हरी के नाम की प्रेम बिना फिरती नहीं है, माला हरी के नाम की, चारों कोनों में जगी है, जोत उस भगवान की। जीत कर लंका से आए, राम अयोध्या बीच में, दे रही हनुमान जी को, माला गले की जान की, प्रेम बिना फिरती…… तोड़कर माला जो फेंकी, … Read more