सत्संग
संतो का संग है सत्संग ,मन को शांत रखने की दवाई है सत्संग , आत्मा की खुराक है सत्संग
सत्संग का प्रभाव महान् है जो भी सत्संग-महापुरुषों के वचन सुनता है, मनन करता है और उनपर अमल करता है उसका जीवन सफल हो जाता है। वह आत्मिक उन्नति की ओर निरन्तर बढ़ता है। महापुरुषों के वचन जीव के मन पर गहरी छाप छोड़ जाते हैं, जिनके प्रभाव से जीव का आत्म कल्याण होता है।
योग या भक्ति में असफल व्यक्ति का वास्तव में क्या होता है?
योग या भक्ति – ऐसा नहीं है कि भगवद् गीता ध्यान-योग पद्धति को अस्वीकार करती हो, वह इसे एक प्रमाणिक विधि के रूप में स्वीकार करती है, किन्तु वह यह भी दर्शाती है कि यह विधि इस युग में संभव नहीं है। अतः भगवद् गीता के छठे अध्याय की विषय-वस्तु को श्री कृष्ण तथा अर्जुन … Read more
मन पर नियन्त्रण कैसे करें ? शिक्षाप्रद कथा
मन पर नियन्त्रण – एक महान् राजा राज्य का त्याग कर संन्यासी बन गया। एकबार जबकि वह एकाग्रचित्त नगर के पास से गुज़र रहा था, भाँति-भाँति की मिठाइयाँ हलवाई की दुकान पर देखकर उसका मन ललचा गया। उसके मन ने मिठाइयाँ खाने का हठ किया। परन्तु उसके पास पैसे नहीं थे। बिना पैसे के हलवाई … Read more
संकल्प शक्ति क्या है? पूर्ण संत के रहस्यमई वचन एकाग्रता से पढ़ें
संकल्प शक्ति विचार में बहुत शक्ति है। यदि विचार मनुष्य के अन्दर न हो तो वह संसार में जन्म नहीं ले सकता । अन्तिम समय जैसी भावना और संकल्प होता है, उसी के अनुसार मनुष्य को अगला जन्म मिलता है। शरीर के अन्दर संकल्प शक्ति के कारण ही मनुष्य चेतन भासता है। स्वप्न अथवा निद्रावस्था … Read more
शत्रु-मित्र की परख कैसे करें?
शत्रु-मित्र की परख यह मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि को ही अपना मित्र समझकर दिन रात इनके इशारों पर जीवन व्यतीत कर रहा है परन्तु यह उसकी बड़ी भूल है। वास्तव में तो ये सब जीव के शत्रु ही हैं। मनुष्य के मित्र तो केवल सन्त सद्गुरु ही होते हैं जो कि उसे … Read more
अपने को न भूलो
अपने को न भूलो संसार में मनुष्य के दुःखी रहने का एकमात्र कारण यही है कि वह अपने स्वरूप को बिल्कुल ही भूल चुका है। जिस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उसे यह मानव जन्म मिला था उस लक्ष्य को भूलकर वह इस नश्वर शरीर, इन्द्रियों तथा शारीरिक रिश्ते-नातों को ही अपने सुख का … Read more
करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान
करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान ॥ दोहा ॥ करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान । रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान ॥ किसी कार्य को नियमपूर्वक किया जाय तो उसमें अवश्य सफलता प्राप्त होती है। जब एक साधारण सी रस्सी प्रतिदिन कुएँ से जल भरती हुई पत्थर पर भी अपना … Read more
प्रभु नाम का महात्म्य – आवागमन के चक्कर से छूटने के सिर्फ दो ही उपाय..
प्रभु नाम का महात्म्य भगवान श्रीकृष्णचन्द्र जी ने गीता में लिखा है- || शेअर || वक़ते रहलत याद मेरी में, झुकाता है जो सर । मुझ में बेशक वसल होता है, वह कालव छोड़कर || यह समझ ले आख़री दम, जिसका जैसा हो ख़्याल । अपनी नीयत के मुताबिक, उसमें पाता है वसाल || दम … Read more
अठसठ तीरथ गुरु चरण
अठसठ तीरथ गुरु चरण सन्तों के चरण-शरण की कितनी महत्ता है। इस पर सन्त सहजोबाई जी कथन करती हैं- ॥ दोहा ॥ अठसठ तीरथ गुरु चरन, परबी होत अखण्ड | सहजो ऐसा धाम नहिं, सकल अण्ड ब्रह्मण्ड | अर्थात् सृष्टि में जितने भी तीर्थ पाये जाते हैं,वे सब वस्तुतः सन्त-महापुरुषों के चरणों में ही स्थित … Read more
गुरु क्या है?जब खुशकिस्मती से पूरे गुरु मिल जायेंगे फिर सब..
गुरु क्या है? इस बात के समझने में अक्सर आदमियों की समझ का रुख़ गलती की तरफ़ रहता है। वे गुरु को साधारण मनुष्यों की तरह ख्याल करते हैं। वे समझते जैसे हम इन्सान हैं ऐसे ही गुरु भी एक इन्सान है। मगर ऐसा समझना सख्त गलती में दाखिल है। जो लोग गुरु के मुतल्लिक … Read more
भगवान बुद्ध के आशीर्वाद का फल
बुद्ध के आशीर्वाद का फल गौतम बुद्ध मगध राज्य के एक गांव में ठहरे हुए थे। वहीं सुदास नाम का एक मोची रहता था जिसकी झोपड़ी के पीछे एक पोखर था। एक सुबह सुदास अपने पोखर से पानी लेने गया तो देखा कि वहां कमल का एक बेहद खूबसूरत फूल बेमौसम खिला हुआ था। उसने … Read more