योग या भक्ति में असफल व्यक्ति का वास्तव में क्या होता है?

योग या भक्ति – ऐसा नहीं है कि भगवद् गीता ध्यान-योग पद्धति को अस्वीकार करती हो, वह इसे एक प्रमाणिक विधि के रूप में स्वीकार करती है, किन्तु वह यह भी दर्शाती है कि यह विधि इस युग में संभव नहीं है। अतः भगवद् गीता के छठे अध्याय की विषय-वस्तु को श्री कृष्ण तथा अर्जुन … Read more

मन पर नियन्त्रण कैसे करें ? शिक्षाप्रद कथा

मन पर नियन्त्रण – एक महान् राजा राज्य का त्याग कर संन्यासी बन गया। एकबार जबकि वह एकाग्रचित्त नगर के पास से गुज़र रहा था, भाँति-भाँति की मिठाइयाँ हलवाई की दुकान पर देखकर उसका मन ललचा गया। उसके मन ने मिठाइयाँ खाने का हठ किया। परन्तु उसके पास पैसे नहीं थे। बिना पैसे के हलवाई … Read more

संकल्प शक्ति क्या है? पूर्ण संत के रहस्यमई वचन एकाग्रता से पढ़ें

संकल्प शक्ति विचार में बहुत शक्ति है। यदि विचार मनुष्य के अन्दर न हो तो वह संसार में जन्म नहीं ले सकता । अन्तिम समय जैसी भावना और संकल्प होता है, उसी के अनुसार मनुष्य को अगला जन्म मिलता है। शरीर के अन्दर संकल्प शक्ति के कारण ही मनुष्य चेतन भासता है। स्वप्न अथवा निद्रावस्था … Read more

शत्रु-मित्र की परख कैसे करें?

शत्रु-मित्र की परख यह मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि को ही अपना मित्र समझकर दिन रात इनके इशारों पर जीवन व्यतीत कर रहा है परन्तु यह उसकी बड़ी भूल है। वास्तव में तो ये सब जीव के शत्रु ही हैं। मनुष्य के मित्र तो केवल सन्त सद्गुरु ही होते हैं जो कि उसे … Read more

अपने को न भूलो

अपने को न भूलो संसार में मनुष्य के दुःखी रहने का एकमात्र कारण यही है कि वह अपने स्वरूप को बिल्कुल ही भूल चुका है। जिस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उसे यह मानव जन्म मिला था उस लक्ष्य को भूलकर वह इस नश्वर शरीर, इन्द्रियों तथा शारीरिक रिश्ते-नातों को ही अपने सुख का … Read more

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान ॥ दोहा ॥ करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान । रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान ॥ किसी कार्य को नियमपूर्वक किया जाय तो उसमें अवश्य सफलता प्राप्त होती है। जब एक साधारण सी रस्सी प्रतिदिन कुएँ से जल भरती हुई पत्थर पर भी अपना … Read more

प्रभु नाम का महात्म्य – आवागमन के चक्कर से छूटने के सिर्फ दो ही उपाय..

प्रभु नाम का महात्म्य भगवान श्रीकृष्णचन्द्र जी ने गीता में लिखा है- || शेअर || वक़ते रहलत याद मेरी में, झुकाता है जो सर । मुझ में बेशक वसल होता है, वह कालव छोड़कर || यह समझ ले आख़री दम, जिसका जैसा हो ख़्याल । अपनी नीयत के मुताबिक, उसमें पाता है वसाल || दम … Read more

अठसठ तीरथ गुरु चरण

अठसठ तीरथ गुरु चरण सन्तों के चरण-शरण की कितनी महत्ता है। इस पर सन्त सहजोबाई जी कथन करती हैं- ॥ दोहा ॥ अठसठ तीरथ गुरु चरन, परबी होत अखण्ड | सहजो ऐसा धाम नहिं, सकल अण्ड ब्रह्मण्ड | अर्थात् सृष्टि में जितने भी तीर्थ पाये जाते हैं,वे सब वस्तुतः सन्त-महापुरुषों के चरणों में ही स्थित … Read more

गुरु क्या है?जब खुशकिस्मती से पूरे गुरु मिल जायेंगे फिर सब..

गुरु क्या है? इस बात के समझने में अक्सर आदमियों की समझ का रुख़ गलती की तरफ़ रहता है। वे गुरु को साधारण मनुष्यों की तरह ख्याल करते हैं। वे समझते जैसे हम इन्सान हैं ऐसे ही गुरु भी एक इन्सान है। मगर ऐसा समझना सख्त गलती में दाखिल है। जो लोग गुरु के मुतल्लिक … Read more

भगवान बुद्ध के आशीर्वाद का फल

बुद्ध के आशीर्वाद का फल गौतम बुद्ध मगध राज्य के एक गांव में ठहरे हुए थे। वहीं सुदास नाम का एक मोची रहता था जिसकी झोपड़ी के पीछे एक पोखर था। एक सुबह सुदास अपने पोखर से पानी लेने गया तो देखा कि वहां कमल का एक बेहद खूबसूरत फूल बेमौसम खिला हुआ था। उसने … Read more

संत दादू दयाल की सहन‍शीलता की कथा

संत दादू दयाल की सहन‍शीलता एक दरोगा संत दादू की ईश्वर भक्ति और सिद्धि के बारे सुनकर बहुत प्रभावित था। उन्हें गुरु मानने की इच्छा से यह उनकी खोज में निकल पड़ा। लगभग आधा जंगल पार करने के बाद दरोगा को केवल धोती पहने एक साधारण-सा व्यक्ति दिखाई दिया। यह उसके पास जाकर बोला, ‘क्यों … Read more

जीव के सच्चे हितैषी सतगुरु ही गुप्त व प्रकट दोनों रूपों में हर प्रकार से सेवक की रक्षा करते हैं

जीव के सच्चे हितैषी सतगुरु सतगुरु आदिकाल से ही जीवों की भलाई चाहते आये हैं। प्रारम्भ से ही उनकी मौज यही रही है कि जीव काल व माया के चक्कर में न पड़ कर, भक्ति व परमार्थ के शुभ कार्यों में लगकर, अपने मनुष्य जन्म के उद्देश्य को प्राप्त कर सके। इसीलिए वे अपने पर … Read more