समय की सार्थकता

समय की सार्थकता - कविता

॥ कविता ॥ समय की सार्थकता 1. बाजी जीत कर जगत से खुश होकर वह जाए । समय को जो मालिक की भजन बन्दगी में लगाए। छोड़कर झूठी ममता को वह मालिक से जुड़ जाए। रसना को कर लीन शब्द में गुणवाद प्रभु के गाए ।। 2. जन्म लिया जिस ने जहान से वह जाएगा … Read more

अमूल्य स्वांस – तुम्हारे स्वांस कहाँ खर्च हो रहे हैं?

अमूल्य स्वांस

परमसन्त श्री कबीर साहिब जी अमूल्य स्वांस – परमसन्त श्री कबीर साहिब जी कपड़ा बुनने का काम करते थे। एक दिन उन्होंने अपने परिवार से कहा अब मुझसे संसार का यह झूठा धंधा नहीं होता। वे कहा लगे कि सुबह जो तानी से नली को निकालने के लिए फूंक देनी पड़ती है, मेरा वह स्वांस … Read more

आत्मज्ञान कैसे होता है ?

आत्मज्ञान – महापुरुषों के वचन हैं कि निद्रा भोजन भोग भय, ये पशु पुरुष समान । नरन ज्ञान निज अधिकता, ज्ञान बिना पशु जान ॥ अर्थात् नींद करना, भोजन खाना, परिवार की वृद्धि करना, शत्रु के भय से स्वयं को बचाना-ये सब समझ तो पशु और पुरुष में समान है। इन्सान की बढ़ाई यह है … Read more

हक है सिर्फ हुकम मानने का

॥ भजन ॥ तर्ज़ – इक परदेसी मेरा दिल…. टेक – मेरा काम नहीं कुछ सोचने का, हक है सिर्फ हुकम मानने का । 1. हानि लाभ को नहीं पहचानू , कल क्या होगा कुछ नहीं जानू  । मेरे गुरु को ही रहता सब पता, हक है… 2. मेरी नज़र तो सिर्फ जिस्मानी,सतगुरु जानते हैं … Read more

गुरुमति धारण करो

गुरुवाणी में वर्णन आया है सबदि मरहु फिरि जीवहु सद ही ता फिरि मरण न होई ।। अंम्रितु नामु सदा मनि मीठा सबदे पावै कोई । सदा जीवित कौन रहते है वर्णन करते हैं कि जो अपने आपको शब्द में मिटा देते हैं वे सदा ही जीवित रहते हैं। जो नाम का मीठा अमृत पी … Read more

क्या है अनहद नाद – सत्पुरुषों की रहस्यमयी वाणी 

अनहद नाद के बारे में सत्पुरुष अपनी वाणी में कथन करते हैं – सत्पुरुष फ़रमाते हैं कि आँखें, कान और मुख बंद करके अंतर में अनहद शब्द सुनने से वह शब्द तुम्हारी सुरति को पिण्ड देश से निकालकर ब्रह्मांड की सैर करवा देगा। अंतर के कपाट खुल जाने से हृदय रोशन हो जाएगा। किन्तु ये … Read more

श्री गुरु-वंदना

श्री गुरु-वंदना ॥दोहा॥ सतगुरु सिमरे से सुखी, महा सुखी तिहुँ काल । एक दृष्टि गुरु की पड़े, पल में होय निहाल ॥ जन्म जन्म से भटक कर, पड़ा शरण चरणार । गुण अवगुण देखे नहीं, सतगुरु बख्शनहार ॥ तुमरी महिमा को प्रभु, किस मुख से हम गावै । अल्पबुद्धि हम जीव प्रभु, अंत कहाँ से … Read more

श्री गुरु महिमा

॥ दोहा ॥ श्री गुरु चरणन नमन करूँ, कोटि कोटि प्रणाम । जिनकी किरपा प्रताप से, पूरण हों सब काम ॥ गुरु मूरत के ध्यान से, कटें कोटि अपराध । धारें हृदय ऋषि मुनि, साधुन प्रीति अगाध ॥ ॥चौपाई॥ श्री परमहंस गुरुदेव स्वामी । पारब्रह्म युग पुरुष अनामी ॥ होय प्रकट कलि के युग अंदर … Read more

मनुष्य शरीर किसका द्धार ?

सभी का एक ही सन्देश मनुष्य शरीर – सभी सन्त-महापुरुष उस परमात्मा का एक ही सन्देश देते हैं। वे एक ही उपदेश, एक ही सत्य ज्ञान का प्रचार करते हैं। उनका उपदेश है कि परमात्मा मूलतः एक ही है और हमारी आत्मा उसी परमात्मा की अंश है। हम जन्म-मरण के चक्र से केवल तभी छूट … Read more

श्री दर्शन ! prabhu darshan kyu jruri hai ?

श्री दर्शन से साधक का हृदय प्रकाशित हो उठता है श्री दर्शन-हर सच्चा प्रेमी, हर भक्त, हर सेवक अपने सद्गुरु के दिव्य दर्शनों की महिमा भाव-विभोर हो गाता है। पुर्ण सद्गुरु के स्वरूप से देदीप्यमान किरणें प्रस्फुटित होती हैं, जो सूर्य के सदृश ज्योतिर्मय हैं तथा चन्द्रमा सदृश शीतल है। उनके सारगर्भित प्रवचन सूर्य के … Read more

भजन-अभ्यास और ध्यान

भजन-अभ्यास और ध्यान का अर्थ है, मन को नाम सुमिरण में लगाकर समस्त विचार शक्ति को अपने इष्टदेव पर एकचित्त हो केन्द्रित करना। समस्त शान्ति व आनन्द दिव्य नाम के सुमिरण में है। जो सद्गुरु असीम कृपा कर जिज्ञासु को बख्श देते हैं।  सद्गुरु के आदेशानुसार भजन-अभ्यास, नाम-सुमिरण करने से जीव निहाल हो जाता है। … Read more