मैनु सोहने तेरे दीदार दी आदत पे गई है,
इक मीठे जाहे खुमार दी आदत पे गई है,
नैना नूं कोई होर न जच्दा तकना तनु चावा मैं,
कदे ते आवे गली तू साड़ी बैठी मल के रहावा मैं,
साहनु तेरे इंतज़ार दी आदत पै गई है,
मैनु सोहने तेरे दीदार दी आदत पे गई है,
रोका टोका नित समजावां ता वी ता एह रुकदा नहीं,
परदे पावा लख छुपावा हाल दिला दा छुपा दा नहीं,
जल दिल नू भी इजहार दी आदत पे गई है,
मैनु सोहने तेरे दीदार दी आदत पे गई है,
सुध बुध भूल के अपनी सजना तेरे विच मैं खो गई आ,
तन मन करके समपर्ण तेरे हवाले हो गई हां,
तेरी जित दे बदले हार दी आदत पै गई है,
मैनु सोहने तेरे दीदार दी आदत पे गई है,
तेरे दर्श बिना वे सजना मेरा कोई गुजारा नई,
मैं दीवानी बेवस हो गई चलदा कोई विचारा नई,
सागर मैनु ता दिल दार दी आदत पै गई है,