
शिव समा रहे मुझ में,
 और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 शिव समा रहे मुझ में, 
और मैं शून्य हो रहा हूँ।
क्रोध को लोभ को, 
क्रोध को, लोभ को, 
मैं भस्म कर रहा हूँ,
 शिव समा रहे मुझ में, 
और मैं शून्य हो रहा हूँ। 
ॐ नमः शिवाय, 
शिव समा रहे मुझ में,
 और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 ॐ नमः शिवाय,
 ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्
 निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
 जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्
 तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम्
 ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम् 
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
 जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्
 तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम्
  शिव की बनाई दुनियाँ मैं, 
कोई शिव सा मिला नहीं,
 मैं तो भटका दर बदर, 
कोई किनारा मिला नहीं, 
जितना पास शिव को पाया,
 उतना खुद से दूर जा रहा हूँ,
 
शिव समा रहे मुझ में,
 और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 ॐ नमः शिवाय,
  शिव समा रहे मुझ में, 
और मैं शून्य हो रहा हूँ। 
ॐ नमः शिवाय,
मैंने खुद को खुद ही बाँधा, 
अपनी खींची लकीरों में, 
मैं लिपट चूका था,
 इच्छा की जंजीरों में,
 अनंत की गहराइयों में, 
समय से दूर हो रहा हूँ,
 
शिव समा रहे मुझ में, 
और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 ॐ नमः शिवाय, 
शिव समा रहे मुझ में,
 और मैं शून्य हो रहा हूँ। 
ॐ नमः शिवाय,
वो सुबह की पहली किरण में, 
वो कस्तूरी बन के हिरण में,
 मेघों में गरजें, गरजे गगन में, 
रमता जोगी, रमता गगन में,
 वो ही वायु में, वो ही आयु में, 
वो जिस्म में, वो ही रूह में,
 वो ही छाया में, वो ही धुप में, 
वो ही है एक रूप में,
 भोले, क्रोध को लोभ को,
 क्रोध को, लोभ को, 
मैं भस्म कर रहा हूँ,
 शिव समा रहे मुझ में, 
और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 ॐ नमः शिवाय, 
शिव समा रहे मुझ में,
 और मैं शून्य हो रहा हूँ।
 ॐ नमः शिवाय।
ये चमक ये दमक फुलवन में महक सब कुछ सरकार तुम्हइ से है
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