रकुल प्रीत सिंह
रकुल प्रीत सिंह उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में शामिल है जो इस समय बॉलीवुड और साउथ की फिल्मों में एक साथ काम कर रही हैं। उसने अपना करियर भी साऊथ से ही शुरू किया था, जिसके बाद उसने हिन्दी फिल्मों में भी खूब नाम कमाया।
नाम | रकुल प्रीत सिंह |
जन्म तिथि | 10 अक्टूबर 1990 |
पिता का नाम | रजेंद्र सिंह (भारतीय सेना ) |
माता का नाम | कुलविन्दर सिंह |
भाई का नाम | अमर |
धर्म | सिख |
पसंदीदा अभिनेता | शरूखान |
जन्म स्थान | नई दिल्ली , भारत |
नागरिकता | भारतीय |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पसंदीदा भोजन | आलू परांठा , गुलाब जामुन |
शौंक | गॉल्फ़ खेलना ,नृत्य करना ,तैराकी |
डेब्यू | कन्नड़ फिल्म – गिल्ली (2009) |
रकुल प्रीत सिंह की कुछ रोचक जानकारियां
- वर्ष 2011 में रकुल प्रीत ने फ़ेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में मिस फ्रेश फेस, मिस ब्यूटीफुल स्माइल, मिस टैलेंटेड और मिस ब्यूटीफुल आईज जैसे 4 ख़िताब हासिल किये ।
- कॉलेज दिनों के दौरान रकुल ने एक लड़का जो रकुल और उनके मित्र की तस्वीरें ले रहा था उसकी पिटाई कर दी।
- रकुल प्रीत भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं।
- रकुल प्रीत एक मार्शल आर्ट खिलाड़ी के साथ साथ कराटे में एक नीली बेल्ट विजेता भी है।
उसकी हालिया रिलीज तमिल-तेलुगु द्विभाषी हॉरर फिल्म ‘बू’ को काफी पसंद किया गया है। ए.एल. विजय निर्देशित इस फिल्म को हाल ही में एक ओ.टी. टी. प्लेटफॉर्म ने हिंदी में रिलीज किया है। यह वर्ष कुल के लिए काफी अच्छा जा रहा है। उसकी फिल्म ‘आई लव यू’ जल्द रिलीज होने वाली है।
इसके अलावा आगे भी उसके पास दिग्गज निर्देशकों की फिल्में हैं। रकुल ने अपनी हॉरर-कॉमेडी फिल्म से लेकर अन्य कई बातें कीं। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश :
‘बू’ हैलोवीन पार्टी कॉन्सैप्ट पर आधारित है। आपने इस फिल्म के लिए हां क्यों कहा?
-यह एक हॉरर फिल्म है। जब इसका ऑफर मेरे पास आया तो वह लॉकडाऊन का दौर था। विजय सर ने मुझे बताया कि वह इस कॉन्सेप्ट पर एक फिल्म बना रहे हैं और इसे एक घर में ही शुरू से अंत तक शूट किया जाएगा।
पूरी कहानी एक रात पर आधारित है। यह एक अलग तरह की कहानी है। और मैं चाहूंगा कि आप इसे सुनें। इसमें अलग-अलग कलाकारों के साथ कई कहानियां एक-दूसरे से गुंथी हुई हैं।
मैंने सोचा कि वह महामारी में एक ऑल-गर्ल्स फिल्म बनाने जा रहे हैं, जो मेरे अब तक किए काम से कुछ अलग है। यही सोच कर मैंने इस फिल्म के लिए हामी भरी।
इस इस फिल्म में आपके काम को समीक्षकों ने सराहा है। कैसा लग रहा है ?
-अगर एक व्यक्ति भी आपके काम की सराहना करता है तो बहुत अच्छा लगता है। वहीं जब दर्शक आपके काम को पसंद करते हैं तो आपको लगता है कि आप सही कर रहे हैं। आप हमेशा उनसे प्रशंसा पाने की उम्मीद रखते हैं क्योंकि आप उनके प्यार के बिना कुछ भी नहीं हैं। इससे मिलने वाले प्रोत्साहन से ही आप बेहतर फिल्में और अपने काम में विविधता लाने की कोशिश करते हैं।
साऊथ की कई फिल्में हिंदी में रिलीज होती हैं। क्या ‘लू’ भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चल रही है ?
-मुझे लगता है कि यह अच्छी बात है। सालों से हम पश्चिमी फिल्में देखते आ रहे हैं और अब हम कोरियाई, फ्रैंच फिल्में तक देख रहे हैं… आज के समय में सिनेमा और भाषाओं की कोई सीमा नहीं है। अगर आपकी फिल्में ज्यादा लोग देखें तो बहुत अच्छा है।
विजय, रवि कुमार, एस. शंकर और रवि कुमार जैसे निर्देशकों के साथ काम करना कैसा रहा?
-विजय बहुत ही प्रेरणादायक और अच्छे निर्देशक हैं। वह ठीक-ठीक जानते हैं कि वह क्या चाहते हैं। उनके साथ काम करना खुशी की बात थी। शंकर सर के साथ मैं फिल्म ‘इंडियन 2’ कर रही हूं। उनके साथ काम करना किसी सपने के सच होने जैसा है।
वह एक महान निर्देशक हैं और किसी भी कलाकार के लिए कमल सर के साथ एक ही फ्रेम में काम करना एक सपना है। मैं आभारी हूं कि मेरे पास यह फिल्म है। रवि कुमार दूरदर्शी हैं। उनके साथ ‘अयलान’ एक साई-फाई शैली की फिल्म है जिसका पैमाना बहुत ऊंचा है। और यह बच्चों के अनुकूल है। यह एक मेहनती निर्देशक हैं और फिल्म में जान डाल देते हैं।
फिटनेस को लेकर आपकी दिनचर्या कैसी है?
वह तो मेरे जीवन से जुड़ा एक अभिन्न हिस्सा है। यह उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना लोगों के लिए भोजन करना जरूरी होता है क्योंकि जिम के बगैर मेरा दिमाग काम नहीं करता।
जैसे मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए 2 दिन जिम नहीं किया, तो मुझे अच्छा नहीं लगता। वह मेरी लाइफ का बहुत इंपोर्टेंट हिस्सा है क्योंकि माइंड- बॉडी बैलेंस बहुत अहम है। ऑफकोर्स, मैं सब कुछ खाती हूं, पर जंक फूड नहीं खाती।
जिम में आप कितना समय देती हैं और उसमें क्या-क्या करती हैं?
-मैं रोजाना 1 घंटा जिम जाती हूं। उसमें स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हो गई, कभी कार्डियो हो गया तो कभी योग । मैं इस तरह सब कुछ मिक्स करती रहती हूं।
पहली बार पोस्टर पर दिखने का अनुभव कैसा रहा?
-उतना तो याद नहीं है, पर फोटो, पोस्टर देखकर अच्छा लगता है। दरअसल, जब करियर शुरू किया था, तब इतना मालूम ही नहीं था कि कैसा लगना चाहिए, क्या फील होना चाहिए, ये कैसा लगता है, ऐसा कुछ नहीं था। हां, एक्साइटमेंट थी।
मुझे याद है कि जब पहली फिल्म ‘यारियां’ आई थी, उस के आने से पहले गाने रिलीज हो रहे थे, तब बहुत एक्साइटमेंट हुई थी, क्योंकि पहली बार अपने गाने टी.वी. पर देख रही थी। उस दौरान बहुत अलग फील हो रहा था।
अगर एक्ट्रैस नहीं बनतीं तो क्या करता ?
-जब मैं मुंबई आई थी तो मैं 20 वर्ष की थी। मैं बस मैथ्स ग्रैजुएट थी। मैंने अपने आपसे वायदा किया था कि मैं एक्टिंग में 2 वर्ष तक प्रयास करूंगी, अगर काम नहीं बना तो मैं वापस पढ़ने चली जाऊंगी। इसकी वजह से मैंने अपना ग्रैजुएशन पूरा किया था। जब मैं कॉलेज में थी, तभी मैंने पहली फिल्म कर ली थी।
कॉलेज की पढ़ाई पूरी क्यों की? –
मेरी अटैंडैंस कम पड़ गई थी। तब मुझे लगा, नहीं मुझे मेरी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करनी है, तो मैंने अपने आप को 2 वर्ष दिए। हालांकि, चीजें मेरे पक्ष में रहीं लेकिन मेरा ‘ प्लान बी’ हमेशा से तैयार था। मैं फैशन में एम. बी. ए. करती लेकिन ऐसा मुझे नहीं करना पड़ा। मैं भाग्यशाली हूं।
करियर के शुरुआत में कैसा अनुभव रहा ?
मेरे पिता आर्मी अफसर रहे हैं, इसके चलते मेरे अंदर अनुशासन पहले से मौजूद था। एक आऊटसाइडर होते हुए भी मैंने जो कुछ भी अपने जीवन में प्राप्त किया, यह मेरे अनुशासन के कारण ही हुआ।
जब मैंने शुरू किया था, मुझे पता नहीं था कि इसे कैसे करना है या मेरे सामने क्या चुनौतियां आएंगी। मैंने केवल काम करना शुरू किया लेकिन मैं अनुशासन में रही। मैं जानती थी कि मुझे बहुत ज्यादा काम करना होगा। जब मैं काम नहीं कर रही होती थी तो मैं ऑडिशन देती थी। मेरे पास हर चीज का टाइम टेबल होता था ।