स्वच्छ भारत अभियान

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत अभियान को सरकार द्वारा देश की स्वच्छता के प्रतीक के रूप में शुरू किया गया है। स्वच्छ भारत का सपना महात्मा गाँधी जी ने देखा था।

अपने सपने के संदर्भ में गाँधी ने कहा कि स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी है और स्वच्छता ही स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन का एक अनिवार्य भाग है।

महात्मा गाँधी जी अपने समय में देश की गरीबी और गंदगी से अच्छी तरह अवगत थे इसीलिए उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत से प्रयास किये लेकिन वो उसमें सफल न हो सके।

अगर आंकड़ों की बात की जाये तो बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जिनके घरों में शौचालय हैं। इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार ने सभी लोगों से निवेदन किया कि वे अपने आस-पास की और दूसरी जगहों की सफाई के लिए साल में केवल 100 घंटों के लिए अपना योगदान दे।

अगर हम स्वच्छ और सुंदर माहौल में न रहें तो हमें गंदगी से अनेक प्रकार की बिमारियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिसके लिए हम खुद जिम्मेदार होते हैं।

हम सभी यही सोचते हैं कि अपने घर और आस-पास की सफाई रखें लेकिन सफाई करने के बाद कूड़े-कचरे को इधर-उधर फेंक देते हैं।

स्वच्छता अभियान :

स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय मुहिम है जो भारत सरकार द्वारा स्थापित की गयी है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत 4041 सांविधिक नगरों के सडक, पैदल मार्ग और अन्य कई स्थान आते हैं।

यह एक बहुत ही बड़ा आंदोलन है जिसके तहत भारत को 2019 तक पूरी तरह से स्वच्छ बनाना है।भारत में स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए महात्मा गाँधी जी के स्वच्छ भारत के सपने को आगे बढ़ाया गया है।

स्वच्छ भारत अभियान को 2 अक्टूबर, 2014 को महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर शुरू किया गया था और 2 अक्टूबर, 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था।

भारत सरकार द्वारा शहरी विकास, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के तहत इस अभियान को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लागू किया गया है।

स्वच्छ भारत अभियान के तहत सफाई व्यवस्था की समस्या का समाधान निकालना साथ में सभी को स्वच्छता की सुविधा के निर्माण द्वारा पूरे भारत में मल प्रबंधन करना है।

स्वच्छता अभियान की आवश्यकता :

इस उद्देश्य की प्राप्ति तक भारत में स्वच्छता अभियान की कार्यवाई लगातार चलती रहनी चाहिए।

भौतिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक कल्याण के लिए भारत के लोगों में इसका एहसास होना बहुत ही जरूरी है।

भारत के प्रत्येक घर में शौचालय होना बहुत ही जरूरी है और खुले में शौच करने की प्रवृति को बंद किया जाना भी बहुत जरूरी है।

अस्वास्थ्यकर शौचालयों को पानी से बहने वाले शौचालयों में बदलने की जरूरत है। हाथ से की जाने वाली सफाई व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए।

नगर के कचरे का पुनर्चक्रण और दुबारा इस्तेमाल, सुरक्षित समापन, वैज्ञानिक तरीके से मल प्रबंधन को लागू करना चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में वैश्विक जागरूकता का निर्माण करने के लिए और सामान्य लोगों को स्वास्थ्य से जोड़ने के लिए इसे चलाना बहुत जरूरी है।

इसमें काम करने वाले लोगों के द्वारा स्थानीय स्तर पर कचरे के निष्पादन का नियंत्रण करना और खाका तैयार करने में मदद करना जरूरी है।

पूरे भारत में साफ-सफाई की सुविधा को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ाना जरूरी है। भारत को स्वच्छ और हरियाली युक्त बनाने के लिए यह बहुत आवश्यक है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी यह बहुत जरूरी है।

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान ः

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान का लक्ष्य हर नगर में ठोस कचरा प्रबंधन सहित लगभग सभी 1.04 करोड़ घरों में शौचालय, 2.5 लाख सार्वजनिक शौचालय और 2.4 लाख सामुदायिक शौचालय उपलब्ध कराना है।

सामुदायिक शौचालयों के निर्माण की योजना को रिहायशी इलाकों में किया गया है जहाँ पर व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की उपलब्धता मुश्किल है।

इसी तरह से सार्वजनिक शौचालयों को बस अड्डों, रेलवे स्टेशन, बाजार आदि जगहों पर उपलब्धता कराया गया है।

शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान को पांच वर्षों के अंदर पूरा करने की योजना है।

शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच की प्रवृति को जड़ से हटाना, अस्वास्थ्यकर शौचालयों को पानी से बहाने वाले शौचालयों में परिवर्तित करना, खुले हाथों से साफ-सफाई की प्रवृति को हटाना, लोगों की सोच में परिवर्तन लाना और ठोस कचरे का प्रबंधन करना आदि लक्ष्य रखे गए हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान :

ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ बनाने के लिए इससे पहले भारतीय सरकार द्वारा निर्मल भारत अभियान की स्थापना की गई थी लेकिन अब इस समय इसका पुनर्गठन स्वच्छ भारत अभियान के रूप में किया गया है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य ग्रामीणों को खुले में शौच करने की मजबूरी से रोकना, इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार ने 11 करोड़, 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की राशी को खर्च करने की योजना बनाई है।

सरकार ने कचरे को जैविक खाद और इस्तेमाल करने लायक ऊर्जा में परिवर्तित करने की योजना भी बनाई है। इसमें ग्राम पंचायत, जिला परिषद, पंचायत समिति की बहुत अच्छी भागीदारी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए इसे चलाया गया है।2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई के लिए लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए।

साफ-सफाई की जरूरी सुविधाओं को लगातार उपलब्ध कराने के लिए पंचायती राज संस्थान, समुदाय आदि को प्रेरित करते रहना चाहिए।

ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार साफ-सफाई और पारिस्थितिक सुरक्षा को प्रोत्साहित करना है।

स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान :

स्वच्छ भारत अभियान केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा चलाया गया है और इसका उद्देश्य स्कूलों में भी स्वच्छता लाना है।

इस अभियान के तहत 25 सितम्बर, 2014 से 31 अक्टूबर, 2014 तक केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय संगठन जहाँ कई सारे स्वच्छता क्रियाकलाप आयोजित किये गये हैं

जैसे विद्यार्थियों द्वारा स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा, इससे संबंधित महात्मा गाँधी की शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य विज्ञान के विषय पर चर्चा, स्वच्छता क्रियाकलाप आदि ।

इसके द्वारा स्कूल क्षेत्र में सफाई, महान व्यक्तियों के योगदान पर भाषण, निबंध लेखन प्रतियोगिता, कला, फिल्म, चर्चा, चित्रकारी, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर नाटक मंचन किया जाता है।

इसके अलावा सप्ताह में दो बार साफ-सफाई अभियान चलाया जाना जिसमें शिक्षक, विद्यार्थी और माता-पिता सभी हिस्सा लेंगे।

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