संतन के कारज आप खलोया
हर कम्म करावन आया राम
धरत सुहावी ताल सोहवा
विच अमृत जल छाय राम
अमृत जल छाया पूरन साज कराया सगल मनोरथ पुरे
जय जय कार भया जग अन्तर लाते सगल विसुरे
संतन के कारज आप खलोया
हर कम्म करावन आया राम
पूरन पुरख अचुत अबिनासी जस वेद पुरनि गाय
अपना बीरद राखीया परमेसर नानक नाम धियाया
संतन के कारज आप खलोया हर कम्म करावन आया राम
धरत सुभावी ताल सोहव विच अमृत जल छाय राम