ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
ओ शिव ध्यानी औघड़ दानी
ध्यान को छोड़ के मुझ पे
कभी तो तू ध्यान दे
बरसो से बैठी चरणों में तेरे
संग बैठने का मुझको जग में तू मान दे
जब जब कष्ट है आया तीनो लोक में
तूने हरा उसे ओ नाथ रे
मेरे भी कष्ट को हरले तू भोले
मुझको देदे सौगात रे
तेरे बिन दिन कितने बीते
अब ना लागे जी मोरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
और गौरा मैया कहती है शिव से
की मैं शक्ति हूँ मैं ही तेरी सती हूँ
जरा मुझको तो जान
एक बार आखे खोल भोले
और अपनी गौरा को पहचान
सखियाँ छेड़े मुझको के शिव है अघोरी
पर वो क्या जाने रे की शिव ने थामी मेरी डोरी
दुख तू हरले गले तो लगाले
कबसे हूं रूठी है मुझको मनाले
जब तू अविनाशी तू क्यों है संन्यासी
तू करता किसका ध्यान रे
मैं तेरे प्रेम की प्यासी
तू कैलाश का वासी
भोले तू गौरा की जान रे
तेरे बिन दिन कितने बीते
अब ना लागे जी मोरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा
हे.. आ….
या तो मुझको इंकार कर दो
या फिर मुझको स्वीकार कर लो
तेरे प्यार में हो होई खोई
कितना हो मै रोयी
भोले तुझको ना खबर
बस अब ना सता मुझे और ना रुला
अब और ना सवर
प्राण मैं दे दूंगी अब तेरे आगे हमसफर
फिर जग में ना कोई होगा मोहब्बत का सफर
ओ अखियां खोलदी अब शिव ने
हा तुही मेरी गौरा
ओ अखियां खोलदी अब शिव ने
हा तुही मेरी गौरा
ओ अखियां खोल रे शिव भोले
मैं हूँ तेरी गौरा