आई फ्लू के लक्षण और इलाज – आई फ्लू कैसे होता है ?
पिछले कुछ सप्ताह में देश के विभिन्न हिस्सों में’ आई फ्लू’ यानी ‘कंजक्टिवाइटिस’ के मामलों में तेजी से बढ़ौतरी हुई है और संभवत: लगातार जारी बारिश तथा बाद के चलते इस समस्या ने और गंभीर रूप ले लिया है।
इसके भयंकर फैलाव के चलते कई हिस्सों में ऐसी स्थिति बन गई है जहां इसे एक महामारी माना जा रहा है। एक अग्रणी हैल्थकेयर कम्पनी प्रैक्टो ने हाल ही में इस बीमारी के प्रकोप को बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ आंकड़े तथा जानकारियां एकत्रित की हैं जिनके अनुसार
जुलाई महीने के पहले दो सप्ताह (1-15 जुलाई बनाम 16 – 31 जुलाई) की तुलना में इसी महीने के आखिरी दो सप्ताह में ‘कंजक्टिवाइटिस’ से संबंधित कुल चिकित्सा परामर्श में जबरदस्त रूप से 416 प्रतिशत बढ़ौतरी देखी गई है।
डा. नरेश चावला, फैमिली मेडिसिन स्पेशलिस्ट, डॉक्टर चावलाज टोटल हैल्थ क्लिनिक, कंसल्टेंट प्रैक्टो ने कहा, ‘मानसून के महीनों में ‘कंजंक्टिवाइटिस’ होना असामान्य बात नहीं है। हालांकि, इस साल इसके मामलों की संख्या सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई है, जो ज्यादातर दिल्ली और देश के कई हिस्सों में हो रही लगातार भारी बारिश और बाढ़ के कारण है। इस प्रकार के अस्वच्छ वातावरण में सभी प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया फलते- फूलते हैं।”
“इस बीमारी के फैलने की मात्रा में बढ़ौतरी विशेष रूप से स्कूल जाने वालों बच्चों में हुई है। हालांकि, इस रोग के फैलाव में कुछ भी अनपेक्षित नहीं है। मेरी सलाह यह है कि सभी समय अच्छी साफ-सफाई बनाए रखें, अलग-अलग तौलिए, गिलास का इस्तेमाल करें और अपनी आंखों को न रगड़ें।
यदि आपको इन्फैक्शन हो भी जाता है। तो फैमिली डाक्टर या नेत्र विशेषज्ञ से बात करें और सुनिश्चित करें कि आप एंटीबायोटिक ड्रॉप्स लेन कि स्टेरॉइड वाले ड्रॉप्स।” डा. सो. एम. ए. बेलियप्पा चीफ मैडिकल अफसर, आरएक्स डी एक्स हेल्थकेयर एवं कंसल्टेंट मेडिकल डायरेक्टर प्रैक्टों ने कहा ‘कंजंक्टिवाइटिस होने के कई कारण हो सकते है जैसे कि वायरस, बैक्टीरिया या एलनी। वर्तमान में, ज्यादातर मामलों में एडिनोवायरस और इसके ‘वैरिएंट मुख्य कारण हैं।”
“एडिनोवायरस बेहद संक्रामक है, जिसकी वजह से इन मामलों में तेजी से बढ़ौतरी होती है जबकि कुछ मामलों में बैक्टीरियल इंफेक्शन मौजूद हो सकते हैं लेकिन इसकी संख्या बहुत मामूली है।”
“संयोग से, ज्यादातर मामलों में साधारण दवाइयों और सहायक देखभाल से हालत में सुधार हो जाता है और एक सप्ताह के भीतर मरीज ठीक हो जाता है। हालांकि, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है और उचित मार्गदर्शन के बिना दवाई की दुकानों में उपलब्ध उत्पादों का उपयोग करने से बचना चाहिए।
“हाथों की अच्छी तरह से साफ सफाई रखने और यदि संक्रमित हो जाएं तो काम या स्कूल न जाने से इस रोग को फैलने से रोकने में सहायता मिल सकती है। ऐसे परि में रेलीमेडिसिन’ भी एक महत्वपूर्ण होता है विशेष रूप से ऐसे समय में जब में मरीजों को सहायता की आवश्यकता हो।
आई फ्लू के लक्षण
- आँख का लाल होना।
- खुजली और जलन…
- आँख से पानी निकलना या स्राव होना। ,
- सूजी हुई पलकें….
- प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता (फोटोफोबिया)…
- पलकों पर पपड़ी बनना। ,
यह लक्षण अक्सर तेजी से आते हैं और आपको कमजोर बना सकते हैं। यदि आपको ऐसे लक्षण मिलते हैं, तो आपको विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।