भजन -शबरी के बेरों में था प्रेम
जो भी मांगा सब कुछ पाया
जिसने दिल से प्रभु को पूजा
ऐसे कृपा निधान मेरे प्रभु
उनकेजैसा और ना दूजा
शबरी के बेरों में था प्रेम
प्रेम की डोर बंधे भगवान
शबरी के बेरों में था प्रेम
प्रेम की डोर बंधे भगवान
भाव के भूखे मेरे राम
तभी तो लगे झूठे बेर भी खान
भाव के भूखे मेरे राम
तभी तो लगे झूठे बेर भी खान
शबरी के बेरों में था प्रेम
प्रेम की डोर बंधे भगवान
शबरी के भेरों में था प्रेम
प्रेम की डोर बधे भगवान
मन में आनंद प्रभु आएंगे घर मेरे भी,
रूखी सखी जो भी है खाएंगे घर मेरे भी,
मन में आनंद प्रभु आएंगे घर मेरे भी
रूखी सुखी जो भी है खाएंगे घर मेरे भी
विनती करूं मैं बारंबार प्रभु जी मेरा रख लेंगे सम्मान,
शबरी के बेरों में था प्रेम ,प्रेम की डोर बंधे भगवान
शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान
जिसने भगवन को चाहा भगवन जी उनको चाहे,
उंगली पकड़ तो सही बोलेंगे थाम बाहे,
जिसने भगवन को चाहा भगवन जी उनको चाहे,
उंगली पकड़ तो सही बोलेंगे थाम बाहे
अपने भक्तों में प्रभु राम भक्त और राम जी एक समान
शबरी के बरों में था प्रेम ,प्रेम की डोर बंधे भगवान
सारे जहाँ के मालिक तेरा ही आसरा है राजी हैं
शबरी के बेरो में था प्रेम प्रेम की डोर बधे भगवान
उनके लिए तो रोशन छोटा बड़ा ना कोई
उनका सहारा है तू कामड़ ना कोई
उनके लिए तो रोशन छोटा बड़ा ना कोई
उनका सहारा है तू कामड़ ना कोई
टूटना चाहिए ना विश्वास समझ नहीं पाता बस इंसान
शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान
शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान