
कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा
कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा
बड़े ही भागा नाल मिलिया
हीरे मोतियां नाल जड़ियाँ,
चढ़ी जवानी सिर ते तेरे
न तंद सिमरन दा तू फड़ियां,
सूती पई तू गहरी नींदे
सिर ते सूरज चड्या चरखा सिमरन दा,
कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा….
पूछ सहेलियां तेरियां ने ता
कत कत ढेर लगाया,
कत कत सिमरन दे तंद
न ध्यान दी अती बनाया,
सूती दी तू सूती रहियो
सूती न दिन चढ़ आया चरखा सिमरन दा,
कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा….
वडी दिति सतगुरु ताहि
नाम दा चीर बनाया,
रह गई तू सूती दी सूती
नहीं लेके कुछ पाया,
की मुख लेके जावे गी
जद लारा मौत दा आया, चरखा सिमरन दा…
तड़के सार तू उठ के भेहणे
सिमरन दी माला बना ले,
गुरा दा नाम तू लेके अपने
दुखड़े सारे मुका ले,
अंत वेले एही कम आना
बाकी सब लूट जाना, चरखा सिमरन दा….
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