राम को देख कर श्री जनक नंदिनी लिरिक्स

राम को देख कर श्री जनक नंदिनी, बाग में जा खड़ी की खड़ी रह गयी, राम देखे सिया माँ सिया राम को, चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी…. थे जनकपुर गये देखने के लिए, सारी सखियाँ झरोकान से झाँकन लगी, देखते ही नजर मिल गयी दोनों की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह … Read more

शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान

शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान जो भी मांगा सब कुछ पाया जिसने दिल से प्रभु को पूजा ऐसे कृपा निधान मेरे प्रभु उनके जैसा और ना दूजा शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान शबरी के बेरों में था प्रेम प्रेम की डोर बंधे भगवान … Read more