जीवन खत्म हुआ तो जीने का ख्याल आया
जीवन खत्म हुआ तो, जीने का ख्याल आया, शमा बुझ गई तो, महफिल पै रंग आया। मन की मशीनरी ने तब चलना सीखा, जब बूड़े के तन के हर पुर्जे में जंग आया। गाड़ी निकल गई तो घर से चला मुसाफिर मायूस हाथ मलता वापिस बैरंग आया। फुरसत के वक्त में न सिमरन का ख्याल … Read more