सूरज पर कविता
सूरज पर कविता सूरज दादा छुपे हो कहां, जल्दी बाहर आओ जी । चमचमाता चेहरा अपना, आज हमें दिखलाओ जी। धूप नहीं आई तो देखो, कैसा हाल हुआ अपना । बाहर के भ्रमण का अब तो, टूट गया स्वर्णिम सपना । गजक-रेवड़ी खाएं घर में, और चबाएं मूंगफली । अदरक वाली चाय पिएं सब, मन … Read more