Kali Chalisa | श्री काली चालीसा

Kali Chalisa | श्री काली चालीसा

काली माता कौन है ?

काली माता, जिन्हें देवी काली, कालिका, और श्री काली नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक है। वह देवी दुर्गा की एक रूप है, और हिंदू धर्म में शक्ति और निर्भयता का प्रतीक मानी जाती है। काली माता को अधिकतर मृत्यु की देवी, भय की देवी, शक्ति की देवी, और समय की देवी माना जाता है।

काली माता का रूप अत्यंत भयंकर होता है, जिसमें वह काले रंग की होती हैं, चार भुजाएं होती हैं, और वह भयानक खड्ग (तलवार) और खोपड़ी (मुंह) धारण करती हैं। उनके दर्शन दौरान वे भयानक भी दिखती हैं, लेकिन उनका सौम्य रुप का ध्यान करने से वे दयालु माँ के रूप में भी प्रकट हो सकती हैं।

भारतीय पौराणिक कथाओं में, काली माता को भद्रकाली, छिन्नमस्तिका, वैष्णवी, भवानी, दुर्गा, आदिशक्ति आदि रूपों में पुकारा जाता है। उन्हें साधकों द्वारा भक्ति और पूजा का विषय बनाया जाता है, जो उन्हें अपनी शक्ति, साहस, और निर्भयता के साथ प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

काली माता की पूजा विभिन्न धार्मिक उत्सवों में भी की जाती है जैसे नवरात्रि और काली पूजा । उन्हें भय के समय सुरक्षा और उत्तरदायित्व की देवी के रूप में प्रसन्न करने की प्रार्थना की जाती है।

श्री शाकम्भरी चालीसा

Kali Chalisa

जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार । महिष मर्दिनी कालिका, देहू अभय अपार ॥

अर्थ- हे माता! आप संसार के पाप और विकार हरने वाली हैं। आपकी महिमा अपरम्पार है। आपने महिषासुर का वध करके संसार को अपार निर्भयता का वरदान प्रदान किया।

Kali Chalisa |  श्री काली चालीसा

अरि मद मान मिटावन हारी। मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥

हे काली माता! आप शत्रुओं का अहंकार नष्ट करने वाली हैं। आपके गले में मुण्डमाला शोभायमान है।

अष्टभुजी सुखदायक माता। दुष्टदलन जग में विख्याता ॥

आप आठ भुजाओं से युक्त और सुख प्रदान करने वाली हैं। दुष्टों के संहारक के रूप में आप जगत विख्यात हैं ।

भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥

आपके विशाल मस्तक के मुकुट की शोभा अवर्णनीय है। आपके हाथ में शत्रु का कटा शीश शोभा पा रहा है।

 श्री काली चालीसा

दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥

आपने अपने दूसरे हाथ में मधु (मदिरा) का प्याला लिया हुआ है तथा तीसरे हाथ में भाला शोभायमान है।

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ।।

चौथे में खप्पर व पांचवें में खड्ग धारण किए आप छठे हाथ के त्रिशूल से शत्रुओं का बल जांचा करती हैं।

 श्री काली चालीसा

सप्तम कर दमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥

हे मां! आपके सातवें हाथ में कृपाणण है, जिसकी शोभा से आपका तेज अद्भुत दृष्टिगोचर होता है।

अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥

आठवें हाथ से आप भक्तों को वरदान प्रदान करती हैं। आपका यह रूप जगत के लिए अत्यन्त मनोहारी है।

  श्री काली चालीसा

भक्तन में अनुरक्त भवानी। निशदिन रटें ऋषी-मुनि ज्ञानी॥

है माता! भक्तों से आप बहुत स्नेह रखती हैं। ऋषि, मुनि और विद्वान सभी आपकी स्तुति में रत रहते हैं।

महाशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥

काली एवं सीता (कुष्ण और राम की शक्ति) के रूप में आप महा- शक्तिशाली, प्रचण्ड और पवित्र हैं ।

 श्री काली चालीसा

पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥

जगपालिके! आप पतितों का उद्धार करने वाली और शरण में आए पापियों के कुल का कल्याण करने वाली हैं।

शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥

आपने एक बार पार्वती का अद्भुत रूप धारण किया जिसका वर्णन शेषनाग, इन्द्रादि भी नहीं कर पाए।

तुम समान दाता नाह दूजा । विधिवत् करें भक्तजन पूजा ॥

आपके समान वर प्रदान करने वाला कोई नहीं। भक्तों की विधिवत् स्तुति से आप शीघ्र प्रसन्न होती हैं ।

रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥

जब-जब आपने प्रचण्ड रूप धारण किया है, तब-तब आपने पापियों का सेना सहित संहार किया है।

नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥

हे माता! आप अनेक नामों से जानी जाती हैं,आपके वे सभी नाम भक्त- जन के संकट दूर कर देते हैं।

कलि के कष्ट कलेशन हरनी।भव भय मोचन मंगल करनी॥

आप कलियुग के समस्त कष्ट आर संतापों को दूर कर भय हरने तथा मंगल करने वाली दयामयी माता हैं।

महिमा अगम वेद यश गावैं।नारद शारद पार न पावैं ।।

आपकी महिमा और यश वेदों ने भी गाया है। नारद – शारद, ज्ञानी-ध्यानी भी आपका पार नहीं पा सके हैं।

भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥

जब-जब धरती पर पापों का बोझ बढ़ा, तब-तब आपने प्रकट होकर मानवता का उद्धार किया।

श्री काली चालीसा

आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥

हे माता! आप संकट हरने वाली मां के रूप में जगविख्यात हैं। आपने ब्रह्माण्ड को अभय वर दिया है।

कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥

विपत्ति काल में जिसने भी आपका स्मरण किया, आपने सदैव सहायता कर, उसे अभय का वर दिया।

ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥

आपके अति भयंकर काल रूप का ध्यान धरते हुए सरस्वती, शेषनाग और इंद्रादि भी आराधनारत हो उठते हैं।

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥

दुष्टों तथा शत्रुओं के नाश के लिए भयानक रूप धारण करने वाले काल भैरव सदैव आपके साथ रहते हैं।

सेवक लांगुर रहत अगारी । चौंसठ जोगन आज्ञाकारी ॥

हे माता! चौंसठ जोगन सेविकाएं आपकी आज्ञाकारिणी हैं और लांगुर सेवक आपकी सेवा को तत्पर हैं।

त्रेता में रघुवर हित आई। दशकंधर की सैन नसाई ॥

त्रेतायुग में आप भगवान श्रीराम की सहायता के लिए प्रकट हुईं। आपने ही रावण की सेना का नाश किया।

खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥

आपने शत्रुओं का नाश करने के लिए युद्ध रचा और दुष्टों के मांस-मज्जा से आपने अपने खप्पर को भर लिया।

रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥

आपका प्रचण्ड – विकराल और रौद्र रूप देख असुर भयभीत होकर अपने भवन छोड़ कर भाग निकले।

तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥

जब-जब पाप का अंधकार बढ़ता हैं तब-तब आप अपने-पराए का भेद मिटा कर साक्षात् प्रकट होती हैं।

ये बालक लखि शंकर आए। राह रोक चरनन में धाए ॥

आपके प्रचण्ड रूप से आकर्षित हो भगवान शंकर भी बालक बन आपके चरणों में नतमस्तक हो गए।

तब मुख जीभ निकर जो आई। यही रूप प्रचलित है माई ।

शंकरजी को चरणों में देख आश्चर्य से आपकी जिह्वा बाहर निकल आई। और यही रूप प्रचलित हो गया।

 श्री काली चालीसा

बाढ्यो महिषासुर मद भारी। पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥

जब महिषासुर का अहंकार और आतंक बढ़ा तो समस्त नर-नारी त्राहि माम्-त्राहि माम् करने लगे।

करुण पुकार सुनी भक्तन की। पीर मिटावन हित जन-जन की ॥

जब आपने अपने भक्तों की करुण पुकार सुनी तो पीड़ित मानवता के उद्धार के लिए तुरंत उद्यत हो उठीं।

तब प्रगटी निज सैन समेता । | नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥

हे माता! आप अपनी सेना सहित प्रकट हुई और महिषासुर का संहार कर महिष-विजेता कहलाई।

शुंभ निशुंभ हने छन माहीं। तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ।।

अत्याचारी शुंभ-निशुंभ दैत्यों को आपने पलक झपकते ही समाप्त कर दिया। आप संसार में अद्वितीय हैं।

मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥

हे मां! आप जहां शत्रुओं के अहंकार को तोड़ने वाली हैं वहीं कष्टों से घिरे भक्तजनों की सहायिका भी हैं।

दीन विहीन करें नित सेवा । पावै मनवांछित फल मेवा ॥

जो दीन-दुःखी मित आपकी सेवा में लीन रहते हैं, वे निश्चित ही आपकी दया और वरदान के पात्र बनते हैं।

श्री काली चालीसा

संकट में जो सुमिरन करहीं। उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥

हे माता। जो संकटकाल में आपका स्मरण भक्तिभाव से करता है, आप निश्चित ही उसका कष्ट हरती हैं।

प्रेम सहित जो कीरति गावैं। भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥

हे मां! जो भी प्रेम और भाव से आपका यशोगान करता है, उसे भव-बंधन से मुक्ति प्रदान करती है।

काली चालीसा जो पढ़हीं। स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ।।

जो भी नियमपूर्वक भक्ति भाव से काली चालिसा का पाठ करता है, उसकी सद्गति अवश्य होती है।

दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥

हे जगतजननी! अविलम्ब कृपा दृष्टि डालकर मेरा उद्धार करें। किस कारण से आप इतना विलम्ब कर रहीं हैं?

करहु मातु भक्तन रखवाली। जयति जयति काली कंकाली ॥

सदैव भक्तों के साथ रहने वाली, भक्तरक्षक हे माता! हम अन्तर्हृदय से आपकी जय-जयकार करते हैं।

सेवक दीन अनाथ अनारी। भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ।।

यह मुर्ख और दीन-हीन सेवक भक्तिभाव से आपकी शरण में है। हे माता! इसकी त्रुटियों को क्षमा करना।

॥ दोहा ॥

प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ । तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ।।

जो व्यक्ति प्रेम और भक्तिभाव से काली चालीसा का पाठ करता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Kali Chalisa pdf

काली चालीसा पढ़ने से लाभ

काली चालीसा एक हिंदू धार्मिक पाठ है जो भगवती काली की महिमा और गुणों का गुणगान करता है। इस पाठ को प्रतिदिन विशेष भाव और श्रद्धा से किया जाता है। काली चालीसा पाठ करने से कई धार्मिक और मानसिक फायदे हो सकते हैं, जिनमें कुछ हैं:-

  1. आध्यात्मिक उन्नतिः काली चालीसा पाठ करने से आपके आध्यात्मिक अनुभव में सुधार हो सकता है। इसके माध्यम से आप अपने अंतरंग मननशील और धार्मिक अभिवृद्धि को अनुभव कर सकते हैं।
  2. शांति और समृद्धिः काली चालीसा का पाठ करने से मानसिक चिंताओं में कमी और मानसिक शांति का अनुभव हो सकता है। इसके साथ ही, आपकी आर्थिक स्थिति में श्री सुधार हो सकता है।
  3. भक्ति और श्रद्धा: काली चालीसा को पढ़कर आप भगवती काली में अधिक भक्ति और श्रद्धा विकसित कर सकते हैं।
  4. नेगेटिविटी से मुक्तिः काली चालीसा पाठ करने से आपको नकारात्मकता और अनिश्चयता से मुक्ति मिल सकती है। यह आपके जीवन में सकारात्मकता का सामर्थ्य प्रदान कर सकता है।
  5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: काली चालीसा पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। इस पाठ को करने से आपका मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  6. कष्टों से रक्षा: काली चालीसा के पाठ को भगवती काली की कृपा और आशीर्वाद का माध्यम माना जाता है। इससे आपको भविष्य में आने वाली कठिनाइयों और कष्टों से बचने की शक्ति मिलती है।

ध्यान देने योग्य बात है कि धार्मिक पाठ को सिर्फ भक्ति और श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए, उचित प्रकार से उच्चारित करना और अर्थ समझकर करना अधिक महत्वपूर्ण होता है।


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