धनुर्धर अर्जुन कौन था ?

धनुर्धर अर्जुन अर्जुन कुंती का पुत्र था। इसके पिता का नाम पाण्डु था, लेकिन वास्तविक पिता तो इसका इंद्र था, कुंती माता को वरदान से इंद्र से अर्जुन, धर्म से युधिष्ठिर, पवन से भीम और माद्री को अश्विनी कुमारों से नकुल और सहदेव पुत्र रूप में प्राप्त हुए| अर्जुन इंद्र के समान ही प्रतापी और … Read more

द्रुपद से द्रोण का प्रतिशोध

द्रुपद से द्रोण जब पाण्डव तथा कौरव राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो उन्होंने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा देना चाहा। द्रोणाचार्य को द्रुपद के द्वारा किये गये अपने अपमान का स्मरण हो आया और उन्होंने राजकुमारों से कहा, “राजकुमारों! यदि तुम गुरुदक्षिणा देना ही चाहते हो तो पाञ्चाल नरेश द्रुपद को बन्दी बना कर … Read more

लौहजंघ की कथा

लौहजंघ इस पृथ्वी पर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा नगरी है। वहां रूपणिका नाम की एक वेश्या रहती थी। उसकी मां मकरदंष्ट्रा बड़ी ही कुरूप और कुबड़ी थी। वह कुटनी का कार्य भी करती थी। रूपणिका के पास आने वाले युवक उसकी मां को देखकर बड़े दुखी होते थे।एक बार रूपणिका पूजा करने मंदिर में … Read more

भगवान विष्णु का स्वप्न

भगवान विष्णु एक बार भगवान नारायण वैकुण्ठलोक में सोये हुए थे। उन्होंने स्वप्न में देखा कि करोड़ों चन्द्रमाओं की कांति वाले, त्रिशूल डमरू धारी, स्वर्णा भरण भूषित, सुरेन्द्र- वन्दित,सिद्धि सेवित त्रिलोचन भगवान शिव प्रेम और आनन्दातिरेक से उन्मत्त होकर उनके सामने नृत्य कर रहे हैं। उन्हें देखकर भगवान विष्णु हर्ष से गद्गद् हो उठे और … Read more

भीष्म प्रतिज्ञा

भीष्म एक बार हस्तिनापुर के महाराज प्रतीप गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। उनके रूप-सौन्दर्य से मोहित हो कर देवी गंगा उनकी दाहिनी जाँघ पर आकर बैठ गईं। महाराज यह देख कर आश्चर्य में पड़ गये तब गंगा ने कहा, “हे राजन्! मैं जह्नु ऋषि की पुत्री गंगा हूँ* और आपसे विवाह करने की … Read more

परशुराम

परशुराम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जिनका सादर नमन करते हों, उन शस्त्रधारी और शास्त्रज्ञ भगवान परशुराम की महिमा का वर्णन शब्दों की सीमा में संभव नहीं। वे योग, वेद और नीति में निष्णात थे, तंत्रकर्म तथा ब्रह्मास्त्र समेत विभिन्न दिव्यास्त्रों के संचालन में भी पारंगत थे, यानी जीवन और अध्यात्म की हर विधा के महारथी ।विष्णु … Read more

वाराणसी की कथा

वाराणसी यह कथा द्वापरयुग की है जब भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था। बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा इस प्रकार है:मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे। यही कारण था कि आस-पास … Read more

भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला का आनंदमयी दृश्य

भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला का एक दृश्य एक बार नन्द जी के घर में एक ब्राह्मण देवता आये। उनका प्रणाम आदि से आदर सत्कार करने के बाद यशोदा माता ने भोजन के लिए उनसे विनय की । इस पर पण्डित जी ने कहा कि भोजन तो करना ही है। नन्दरानी ने कच्चा सीदा-आटा, घी, … Read more

भगवती तुलसी

भगवती तुलसी तुलसी से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। श्रीमद देविभागवत पुराण में इनके अवतरण की दिव्य लीला कथाभी बनाई गई है। एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्रमें फेंक दिया था। उससे एक महातेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से पराक्रमी दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी … Read more

भीम नागलोक में

भीम पाँचों पाण्डव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव – पितामह भीष्म तथा विदुर की छत्रछाया में बड़े होने लगे। उन पाँचों में भीम सर्वाधिक शक्तिशाली थे। वे दस-बीस बालकों को सहज में ही गिरा देते थे। दुर्योधन वैसे तो पाँचों पाण्डवों ईर्ष्या करता था किन्तु भीम के इस बल को देख कर उससे … Read more

जब टूटा शनिदेव का अंहकार

शनिदेव त्रेतायुग में एक बार बारिश के अभाव से अकाल पड़ा। तब कौशिक मुनि परिवार के लालन-पालन के लिए अपना गृहस्थान छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ चल दिए। फिर भी परिवार का भरण-पोषण कठिन होने पर दुःखी होकर उन्होनें अपने एक पुत्र को बीच राह में ही छोड़ दिया।वह … Read more

धर्मराज युधिष्ठिर

धर्मराज युधिष्ठिर पांडु का ज्येष्ठ पुत्र था। धर्मराज द्वारा कुंती के आह्वान पर बुलाए जाने पर उनके अंश से ही यह पैदा हुआ था, इसलिए धर्म और न्याय इसके चरित्र में कूट-कूटकर भरा था। इसी के कारण इसको धर्मराज युधिष्ठिर पुकारा जाता था। वह कभी असत्य नहीं बोलता था, तभी शत्रु पक्ष के लोग भी … Read more