कुण्डलिनी महाशक्ति | Kundalini Shakti

कुण्डलिनी महाशक्ति | Kundalini Shakti कुण्डलिनी महाशक्ति क्या है एक शक्ति सर्व संसार में काम कर रही है। संसार की समस्त रचना उसी के द्वारा हुई है। इस शरीर में भी वही काम करने वाली शक्ति है। उसको कुण्डलिनी महामाया कहते हैं। नाभि के नीचे उसका स्थान है। पेट में मांस का एक कमल है। … Read more

आनन्द का अर्थ क्या है – इस शब्द ने हर प्राणी में हलचल मचा रखी है

आनन्द का अर्थ क्या है आयु की स्वर्णिम व उन्मादयुक्त घड़ियों में यौवन, मस्ती में भर देने वाली पुष्पों की सुन्दरता एवं सुगन्ध, प्रातःकाल के सुखद आगमन का प्रतीक भोर का तारा, ऋतुओं में रंग भरने वाला बसन्त, रात्रि की शोभा को बढ़ाने वाला चाँद, ये सब अपने-अपने विभागों में आनन्द के प्रदाता हैं। इनका … Read more

सतगुरु भजन – सतगुरु महिमा के आनंदमई भजन

Sadhguru darshan

सतगुरु भजन भजन का अर्थ होता है भगवान के गुणों का गान करना या उन्हें याद करना। सतगुरु भजन एक ऐसा गीत होता है। जिसमें सतगुरु की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा की जाती है। सतगुरु शब्द के दो भाग होते हैं ‘संत’ जो सच्चाई और तत्वतः सत्य होता है और गुरु जो … Read more

ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु की शरण में जाना होगा

ज्ञान प्राप्ति के लिए गुरु शरण – साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता मेल लिखा है तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया । उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ।।4.34 ॥ अनुवाद एवं तात्पर्य : तुम गुरु के पास जाकर सत्य को जानने का प्रयास करो। उनसे विनीत होकर जिज्ञासा करो और उनकी सेवा करो। स्वरूपसिद्ध व्यक्ति तुम्हें ज्ञान … Read more

योग या भक्ति में असफल व्यक्ति का वास्तव में क्या होता है?

योग या भक्ति – ऐसा नहीं है कि भगवद् गीता ध्यान-योग पद्धति को अस्वीकार करती हो, वह इसे एक प्रमाणिक विधि के रूप में स्वीकार करती है, किन्तु वह यह भी दर्शाती है कि यह विधि इस युग में संभव नहीं है। अतः भगवद् गीता के छठे अध्याय की विषय-वस्तु को श्री कृष्ण तथा अर्जुन … Read more

मन पर नियन्त्रण कैसे करें ? शिक्षाप्रद कथा

मन पर नियन्त्रण – एक महान् राजा राज्य का त्याग कर संन्यासी बन गया। एकबार जबकि वह एकाग्रचित्त नगर के पास से गुज़र रहा था, भाँति-भाँति की मिठाइयाँ हलवाई की दुकान पर देखकर उसका मन ललचा गया। उसके मन ने मिठाइयाँ खाने का हठ किया। परन्तु उसके पास पैसे नहीं थे। बिना पैसे के हलवाई … Read more

संकल्प शक्ति क्या है? पूर्ण संत के रहस्यमई वचन एकाग्रता से पढ़ें

संकल्प शक्ति विचार में बहुत शक्ति है। यदि विचार मनुष्य के अन्दर न हो तो वह संसार में जन्म नहीं ले सकता । अन्तिम समय जैसी भावना और संकल्प होता है, उसी के अनुसार मनुष्य को अगला जन्म मिलता है। शरीर के अन्दर संकल्प शक्ति के कारण ही मनुष्य चेतन भासता है। स्वप्न अथवा निद्रावस्था … Read more

शत्रु-मित्र की परख कैसे करें?

शत्रु-मित्र की परख यह मनुष्य काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि को ही अपना मित्र समझकर दिन रात इनके इशारों पर जीवन व्यतीत कर रहा है परन्तु यह उसकी बड़ी भूल है। वास्तव में तो ये सब जीव के शत्रु ही हैं। मनुष्य के मित्र तो केवल सन्त सद्गुरु ही होते हैं जो कि उसे … Read more

अपने को न भूलो

अपने को न भूलो संसार में मनुष्य के दुःखी रहने का एकमात्र कारण यही है कि वह अपने स्वरूप को बिल्कुल ही भूल चुका है। जिस उद्देश्य की पूर्ति करने के लिए उसे यह मानव जन्म मिला था उस लक्ष्य को भूलकर वह इस नश्वर शरीर, इन्द्रियों तथा शारीरिक रिश्ते-नातों को ही अपने सुख का … Read more

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान

करत करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान ॥ दोहा ॥ करत करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान । रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निसान ॥ किसी कार्य को नियमपूर्वक किया जाय तो उसमें अवश्य सफलता प्राप्त होती है। जब एक साधारण सी रस्सी प्रतिदिन कुएँ से जल भरती हुई पत्थर पर भी अपना … Read more