जीव के सच्चे हितैषी सतगुरु ही गुप्त व प्रकट दोनों रूपों में हर प्रकार से सेवक की रक्षा करते हैं

जीव के सच्चे हितैषी सतगुरु सतगुरु आदिकाल से ही जीवों की भलाई चाहते आये हैं। प्रारम्भ से ही उनकी मौज यही रही है कि जीव काल व माया के चक्कर में न पड़ कर, भक्ति व परमार्थ के शुभ कार्यों में लगकर, अपने मनुष्य जन्म के उद्देश्य को प्राप्त कर सके। इसीलिए वे अपने पर … Read more

वाराणसी की कथा

वाराणसी यह कथा द्वापरयुग की है जब भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था। बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा इस प्रकार है:मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे। यही कारण था कि आस-पास … Read more

भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला का आनंदमयी दृश्य

भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला का एक दृश्य एक बार नन्द जी के घर में एक ब्राह्मण देवता आये। उनका प्रणाम आदि से आदर सत्कार करने के बाद यशोदा माता ने भोजन के लिए उनसे विनय की । इस पर पण्डित जी ने कहा कि भोजन तो करना ही है। नन्दरानी ने कच्चा सीदा-आटा, घी, … Read more

भगवती तुलसी

भगवती तुलसी तुलसी से जुड़ी एक कथा बहुत प्रचलित है। श्रीमद देविभागवत पुराण में इनके अवतरण की दिव्य लीला कथाभी बनाई गई है। एक बार शिव ने अपने तेज को समुद्रमें फेंक दिया था। उससे एक महातेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक आगे चलकर जालंधर के नाम से पराक्रमी दैत्य राजा बना। इसकी राजधानी … Read more

भीम नागलोक में

भीम पाँचों पाण्डव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव – पितामह भीष्म तथा विदुर की छत्रछाया में बड़े होने लगे। उन पाँचों में भीम सर्वाधिक शक्तिशाली थे। वे दस-बीस बालकों को सहज में ही गिरा देते थे। दुर्योधन वैसे तो पाँचों पाण्डवों ईर्ष्या करता था किन्तु भीम के इस बल को देख कर उससे … Read more

मूली के फायदे पेट से जुड़ी हर बीमारी के लिए वरदान है मूली

मूली के फायदे मूली को अक्सर सलाद या अचार के रूप में खाया जाता है। लेकिन ज्यादातर लोग मूली को पसंद-नापसंद के हिसाब से खाते हैं। अगर आप मूली को बेकार समझकर नहीं खाते तो इसके फायदे जान लें। जिसे जानने के बाद आज से ही खाना शुरू कर देंगे। मूली में कई सारे जरूरी … Read more

जब टूटा शनिदेव का अंहकार

शनिदेव त्रेतायुग में एक बार बारिश के अभाव से अकाल पड़ा। तब कौशिक मुनि परिवार के लालन-पालन के लिए अपना गृहस्थान छोड़कर अन्यत्र जाने के लिए अपनी पत्नी और पुत्रों के साथ चल दिए। फिर भी परिवार का भरण-पोषण कठिन होने पर दुःखी होकर उन्होनें अपने एक पुत्र को बीच राह में ही छोड़ दिया।वह … Read more

धर्मराज युधिष्ठिर

धर्मराज युधिष्ठिर पांडु का ज्येष्ठ पुत्र था। धर्मराज द्वारा कुंती के आह्वान पर बुलाए जाने पर उनके अंश से ही यह पैदा हुआ था, इसलिए धर्म और न्याय इसके चरित्र में कूट-कूटकर भरा था। इसी के कारण इसको धर्मराज युधिष्ठिर पुकारा जाता था। वह कभी असत्य नहीं बोलता था, तभी शत्रु पक्ष के लोग भी … Read more

कृष्ण रूक्मणी विवाह कथा

कृष्ण रूक्मणी विदर्भ के राजा भीष्मक की कन्या रूक्मिणी थी, रूक्मिणी के भाई थे रूक्म। रूक्म अपनी बहन की शादी शिशुपाल से करना चाहता था परंतु देवी रूक्मणी अपने मन में श्री कृष्ण को पति मान चुकी थी। अतः देवी रूक्मणी ने श्री कृष्ण को एक पत्र लिखा । पत्र प्राप्त कर श्री कृष्ण विदर्भ … Read more

मायावी घटोत्कच

मायावी घटोत्कच भीमसेन का विवाह हिडिंबा नाम की एक राक्षसी के साथ भी हुआ था। वह भीमसेन पर आसक्त हो गई थी और उसने स्वयं आकर माता कुंती से प्रार्थना की थी कि वे उसका विवाह भीमसेन के साथ करा दें। कुंती ने उस विवाह की अनुमति दे दी, लेकिन भीमसेन ने विवाह करते समय … Read more

शनिदेव पर तेल क्यों चढ़ाते हैं?

शनिदेव आनंद रामायण की एक कथा के अनुसार लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र पर बांधे गए पुल की सुरक्षा का भार हनुमानजी को सौंपा गया था। हनुमानजी रात में भगवान राम का ध्यान करते हुए पुल की रक्षा कर रहे थे कि वहां शनिदेव आ पहुंचे और उन्हें व्यंग्यबाणों से परेशान करने लगे। हनुमानजी … Read more

राधा-कृष्ण

राधा-कृष्ण सतयुग और त्रेता युग बीतने के बाद जब द्वापर युग आया तो पृथ्वी पर झूठ, अन्याय, असत्य, अनाचार और अत्याचार होने लगे और फिर प्रतिदिन उनकी अधिकता में वृद्धि होती चली गई। अधर्म के भार से पृथ्वी दुखित हो उठी| उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव के पास पहुंचकर प्रार्थना की कि वे उसे इस … Read more