Agam Agochara tera ant na paya (अगम अगोचर तेरा अंत न पाया)
अगम अगोचर तेरा अंत न पाया
अगम अगोचरा तेरा अंत ना पाया
अंतो ना पाया किनै तेरा अपना आप भी जानया
जीव ए जंतु सब ख्याल तेरा किया को आख वखना ए
आखहि ता वैखेह सब तोहे जिन जगत उपाया
कहे नानक तो सदा अगम है अत ना पाया
किसी ने तेरी सीमा नहीं पाई, केवल आप ही जानते हैं
Agam Agochara tera ant na paya pdf
है दुर्गम और अथाह भगवान जी आपकी सीमाएं का कोई पारावार नहीं पा सकता।
सभी जीव-जन्तु ही आपकी लीला है,कोई लीला आपका वर्णन कैसे कर सकता है?
तू ही बोलता है और सब पर समान दृष्टि रखने वाला और आपने ब्रह्मांड की रचना करने वाला है।
गुरु नानक देव कहते हैं, तुम सदैव अप्राप्य हो, आपकी सीमाएं का अंत नहीं है।