सिमरण की आदत
सिमरण से आत्मा की शक्ति उजागर होती है। जितना हो सके सिमरन करो। यह नकरात्मक शक्तिओं से बचाता है। तन और मन दोनों को स्वास्थ्य रखता है। जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है। सिमरन द्वारा हमें अपनी आत्मिक और अन्दरूनी शक्तिओं का बोध होता है। सबके प्रति परोपकार की भावना पैदा करता है। हर मर्ज की दवा है सिमरण।
सिमरण की आदत डालने के लिए ऐसा करें। सबसे पहली बात यह कभी ना कहें कि सिमरन के लिए वक़्त नहीं क्यूंकि सिमरण एक ऐसी ताकत है जिसका अनुभव आपको इससे जुड़ने के बाद ही होता है।
🌹आपके घर की प्रत्येक सीढ़ी चढते व उतरते वक्त बार-बार सिमरन करते रहें।
🌹आप रोड पर रेड लाइट के सामने खड़े हो, परेशान होने से अच्छा है सिमरन करते रहें ।
🌹आप किसी को जब जब फोन करते हैं, फोन की घंटी बज रही है, जब तक सामने वाला ना उठाए तब तक सिमरन करते रहें।
🌹कोई भी महिला खाना बना रही है, सिमरन करते हुए पकाएँ जिससे सिमरन भी होगा और रोटी खाने वाले को भी आनन्द आएगा /
🌹आप किसी का इंतज़ार करते रहें । जिससे सिमरन भी होगा और इँतजार कब मुलाकात में बदल गया पता ही नहीं चलेगा ।
🌹अपने जीवन की हर छोटी बड़ी घटना को सिमरन के साथ जोड़ दो । ऐसे ही फिर सिमरन आदत पड़ जाएगी ।
🌹 सिमरन के लिए समय नहीं भी मिल रहा सिमरन का अभ्यास करते रहो चूँकि अभ्यास करने से तो स्वासों में बस जायेगा और सहज में ही सिमरन होने लगेगा ।
हर वक़्त होगा फिर सिमरन ही सिमरन🙏🏻👍
सिमरण और ध्यान सबके लिए अनिवार्य है क्यूंकि मन स्वस्थ्य बिना सिमरन और ध्यान के नहीं हो सकता।मानसिक रोगो की औषिधि है सिमरण।