Heart Health
Heart Health
हमारा छोटा सा दिल हमारे शरीर का ऊर्जा स्रोत है। दिल काम कर रहा है तो हम जिंदगी जी रहे हैं। हमारा दिल प्रतिदिन करीब 1 लाख 15 हजार बार धड़कता है और करीब 2 हजार गैलन रक्त पंप करता है। जिस दिन इस दिल में तकलीफ शुरू हुई तो परेशानी आप को ही होगी।
हमारे देश में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण हृदय से जुड़ी बीमारियां ही हैं। हृदयरोगों के कारण मात्र 26 वर्ष की आयु में मृत्यु के आंकड़ों में 34 के में प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसलिए इस का खास खयाल रखना जरूरी है।
दिल की तंदुरुस्ती जुड़ी होती है आप के दिमाग से, आप के खानपान और जीवनशैली से। आप क्या सोचते
हैं, क्या खाते हैं और कैसे जीते हैं इस सब का सीधा असर दिल की सेहत पर पड़ता है। आइए, जानते हैं दिल को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं:
Heart Health tips
सक्रियता जरूरी
एक निष्क्रिय जीवनशैली जीने का अर्थ है अपने दिल की सेहत को खतरे में डालना, इसलिए आलस त्याग कर दौड़ लगाएं, वाक करें, साइक्लिंग और स्विमिंग करें।
जिम जाना जरूरी नहीं पर शरीर को थकाना और पसीना लाना जरूरी है। कोई भी ऐसी एक्टिविटी कीजिए जिस में आप के पूरे शरीर का व्यायाम हो जाए। नियमित व्यायाम करने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम रहता है।
न करें धूम्रपान
यदि आप अपने आप को हृदयरोगों से दूर रखना चाहते हैं तो जरूरी यह भी है कि आज ही धूम्रपान बंद कर दें। धूम्रपान और तंबाकू का सेवन कोरोनरी हृदय रोगों के होने के सब से बड़े कारणों में से एक है।
तंबाकू रक्तवाहिकाओं और हृदय को बड़ा नुकसान पहुंचाता है, इसलिए यदि आप हृदय को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो आज ही धूम्रपान छोड़ दें।
रखें वजन को नियंत्रित
अधिक वजन होना हृदयरोग के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है, इसलिए रोज कसरत करना और संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी हो जाता है। मोटापे के कारण हृदय की समस्याएं अधिक होती हैं।
जीएं जिंदगी जीभर कर
जिंदगी से शिकायतें कम करें और खुल कर जीने का प्रयास अधिक करें। रोजमर्रा की जिंदगी में छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें। इस से दिल भी खुश रहेगा और आप भी।
जितना हो सके मुसकराएं और ठहाके लगाएं। संगीत सुनें, किताबें पढ़ें, दोस्तों और बच्चों के साथ समय बिताएं। शरीर में ऑक्सीजन की ज्यादा मात्रा पहुंचे इस के लिए गहरी सांसें लें।
ये सभी आदतें तनाव और दबाव को कम करने में मदद में करेंगी और आप को दिल की बीमारी से दूर रखेंगी।
अधिक फाइबर वाला खाना खाएं
हृदयरोग के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर खाएं। दिन में कम से कम 30 ग्राम फाइबर खाने का लक्ष्य रखें। साबूत दालें अनाज, सब्जियां जैसे गाजर, टमाटर आदि में न घुलने वाला फाइबर होता है।
दलिया, सेम, लोबिया, सूखे मेवे और फल जैसे सेब, नीबू, नाशपाती, अनानास आदि में घुलनशील फाइबर होता है। फाइबर युक्त भोजन अधिक समय तक पेट में रहता है जिस के कारण पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना भी कम खाया जाता है।
इसी कारण वजन भी कम होता है। फाइबर युक्त भोजन पाचन के समय शरीर से वसा निकाल देता है, जिस के कारण कॉलेस्ट्रॉल कम होता है व हृदय अधिक तंदुरुस्त होता है।
भोजन में बढ़ाएं फायदेमंद चिकनाई
अधिक वसा वाले ज्यादा खाद्यपदार्थ खाने से रक्त में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ सकती है। यह हृदयरोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है।
वसा की जगह फायदेमंद चिकनाई खाएं। तेल, दूध एवं दूध से बनी वस्तुएं में नुकसानदेह चिकनाई होती है जो बुरा कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा कर हृदय को अस्वस्थ करती है।
लेकिन दालें, टोफू, किनोआ इत्यादि से पौष्टिक प्रोटीन एवं फायदेमंद चिकनाई दोनों मिलते हैं। बाजार में मिलने वाली अधिकतर खाने की वस्तुओं में अच्छा पौष्टिक तेल नहीं होता।
इस कारण इन का उपयोग कम से कम करना चाहिए। चीनी एवं मैदे का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और भोजन में पौष्टिक तत्त्व जैसे सूखे मेवे, हरी सब्जियां इत्यादि का इस्तेमाल बढ़ा देना चाहिए।
करें नमक में कटौती
सही रक्तचाप और दिल की सेहत के लिए टेबल पर रखे नमक का इस्तेमाल करने से बचें और अपने खाने में अधिक प्रयोग करने से भी बचें।
एक बार जब आप बिना अतिरिक्त नमक के खाद्यपदार्थ खाने के आदी हो जाते हैं तो आप इसे पूर्णरूप से छोड़ सकते हैं। भोजन में अधिक नमक की मात्रा होने से रक्तचाप बढ़ जाता है।
इस कारण हृदय में कई बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती है। खाने को अधिक स्वादिष्ठ बनाने के लिए मसाले; हरा धनिया, पुदीना आदि डालिए। इस तरह नमक की मात्रा भी कम हो जाएगी।
खरीदे गए खाद्यपदार्थ के लेबल को देखें। यदि 100 ग्राम में 1.5 ग्राम नमक या 0.6 ग्राम सोडियम से अधिक होता तो उस खाद्यपदार्थ में नमक की मात्रा अधिक है। एक वयस्क को दिनभर में 6 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए।
घर के खाने को दें प्राथमिकता
घर में बना भोजन अधिक पौष्टिक होता है क्योंकि आप स्वयं सब्जी, मसाले, तेल एवं पकाने की विधि का चयन करते हैं।
आप खाने को ज्यादा स्वादिष्ठ बनाने के लिए उस में विभिन्न प्रकार के मसाले डाल सकते हैं और नमक एवं चीनी जैसे हानिकारक तत्त्वों की मात्रा कम कर सकते हैं और फिर घर में बना खाना सस्ता भी पड़ता है।
रक्तचाप और कॉलेस्ट्रॉल पर नजर
हृदय की सेहत के लिए उच्च रक्तचाप और उच्च कॉलेस्ट्रॉल दोनों हानिकारक होते हैं। रक्तचाप और कॉलेस्ट्रॉल की जांच को ट्रैक करना और निगरानी करना महत्त्वपूर्ण होता है।
उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त कॉलेस्ट्रॉल के स्तर से दिल का दौरा पड़ सकता है। कॉलेस्ट्रॉल 2 रूपों में शरीर में मौजूद होता है- पहला एचडीएल और दूसरा एलडीएल।
एचडीएल या गुड़ कॉलेस्ट्रॉल का ज्यादातर हिस्सा प्रौटीन से बना होता है, इसलिए शरीर की विभिन्न कोशिकाओं से कॉलेस्ट्रॉल को लेना और उसे नष्ट करने के लिए लिवर के पास ले जाने का मुख्य कार्य गुड कॉलेस्ट्रॉल करता है।
अगर शरीर में गुड कॉलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर बना रहे तो शरीर को हृदयरोग से सुरक्षा मिलती है और अगर गुड कॉलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो जाए तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
दूसरी तरफ एलडीएल या बैड कॉलैस्ट्रॉल का सिर्फ एकचौथाई हिस्सा ही प्रोटींन होता है और बाकी सारा फैट । वैसे तो यह क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करता है,
लेकिन अगर शरीर में इस का स्तर बढ़ जाए तो यह रक्तधमनियों की अंदरूनी दीवारों में जमा होने लगता है जिस से धमनियां संकुचित होने लगती हैं और पर्याप्त रक्तप्रवाह में मुश्किल पैदा होती जिस से हृदयरोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण
गलत भोजन
अगर आप ऐसे आहार का सेवन करें जिस में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक हो तो खून में एलडीएल या बैड कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है।
मीट, डेयरी उत्पाद, नारियल तेल, पाम ऑयल, मक्खन, चॉकलेट्स, बहुत ज्यादा तलीभुनी चीजें, प्रॉसैस्ड फूड और बेकरी उत्पाद इसी श्रेणी में आते हैं।
असक्रिय जीवनशैली
अगर कोई व्यक्ति अपने रोजाना की जीवनशैली में किसी तरह की शारीरिक गतिविधि न करे, हर वक्त बैठा रहे तो इस से भी खून में एलडीएल या बैड कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और गुड कॉलेस्ट्रॉल यानी एचडीएल का सुरक्षात्मक प्रभाव कम होने लगता है।
बीमारियां
पीसीओएस, हाइपरथायरोइडिज्म, डायबिटीज, किडनी डिजीज, एच.आई.वी. और ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे रूमैटॉइड आथ्रइटिस, सोरायसिस आदि की वजह से भी कॉलेस्ट्रॉल का लैवल बढ़ने लगता है।
कॉलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय
खून में कॉलेस्ट्रॉल के लैवल को बढ़ने से रोकने में सब से अहम भूमिका होती है आप के भोजन की। अपने भोजन में सैचुरेटेड फैट से भरपूर चीजों का बहुत अधिक सेवन न करें।
मीट, अंडा, प्रोसैस्ड फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स आदि चीजें बहुत ज्यादा न खाएं। डाइट से जुड़ी आदतों में बदलाव करें।
फुल फैट क्रीम वाले दूध की जगह स्किम्ड मिल्क का इस्तेमाल करें, खाना पकाने के लिए वैजिटेबल ऑयल का इस्तेमाल करें।
अपने भोजन में साबूत अनाज, नट्स, फल, सब्जियां, चिकन आदि शामिल करें। फाइबर से भरपूर चीजें खाएं और बहुत ज्यादा चीनी वाले खाद्यपदार्थों और पेयपदार्थों का सेवन न करें।
सक्रियता बनाए रखें
अगर आप दिनभर कोई शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं तो इस से आप के खून में एचडीएल या गुड कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होने लगती है। हफ्ते में 3-4 बार 45 मिनट के लिए ऐरोबिक ऐक्सरसाइज करें।
इस से बैड कॉलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है। इस के अलावा वॉक करें, रनिंग करें, जॉगिंग करें, स्विमिंग, डांसिंग आदि भी आप को सक्रिय बनाए रखने और कॉलेस्ट्रॉल लैवल को कंट्रोल करने में मदद करेंगे।
अगर आप का वजन अधिक है या आप मोटापे का शिकार हैं तो इस से भी बैड कॉलेस्ट्रॉल या एलडीएल का लैवल बढ़ने लगता है और गुड़ कॉलेस्ट्रॉल या एचडीएल कम होने लगता है। ऐसे में अगर आप वजन कम कर लें तो इस से भी आप को काफी मदद मिल सकती है।