होली की मौज-मस्ती
होली की मौज-मस्ती में हैल्थ
होली के दिन हर कोई जश्न में डूबा रहेगा। होली खेलने के साथ-साथ लोग जमकर खाने-पीने का भी लुत्फ उठाएंगे। परिजनों और दोस्तों के साथ पार्टियां होंगी और लोग इस दिन जी भरकर मस्ती करेंगे।
लेकिन होली की मौज-मस्ती में हैल्थ को इग्नोर करना आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। कहीं ऐसा न हो कि रंगों के इस त्यौहार पर आपकी एक गलती आपकी पूरी जिंदगी को बेरंग कर दे।
ऐसे में होली पर कुछ सावधानी बरतनी भी जरूरी है। डाक्टरों का भी यही मानना है कि होली के दौरान खतरनाक रंग और गुलाल से बचने के साथ-साथ खाने पीने के दौरान भी सचेत रहने की जरूरत है।
होली जितनी गीली, उतनी खतरनाक
होली जितनी गीली होगी, उतनी ही खतरनाक साबित होगी। बात चाहे होली खेलने की हो या खाने-पीने की, दोनों में सावधानी बरतने की जरूरत है। होली के दिन शराब या भांग का सेवन करने से • बचें और सूखे रंगों से होली खेलें। अपनी स्किन का खास ख्याल रखने की जरूरत है।
ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा ढका हुआ रहे। बालों को बचाने के लिए सिर पर कैप लगाएं या कपड़ा बांध लें। होली खेलने से पहले सिर से लेकर पैर तक कोई ऑयल या मॉइश्चराइजर लगा लें। इससे रंग त्वचा के अंदर नहीं जाते।
होली पर पुराने कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि नए कपड़े ज्यादा रंग सोखते हैं और फिर जितनी देर आप वो कपड़े पहने रहते हैं, उतनी देर रंग आपकी त्वचा के संपर्क में रहते हैं।
होली खेलने के बाद रंग छुड़ाने के लिए साबुन का कम से कम इस्तेमाल करें और फेसवॉश या दूसरी चीजों से रंग छुड़ाएं।
रंग कहीं बेरंग न कर दें जिंदगी
आजकल मार्कीट में मिलने वाले ज्यादातर रंग कैमिकल बेस्ड होते है। ये दरअसल इंडस्ट्रीयल यूज के कलर्स होते हैं, लेकिन या तो कई दुकानदारों को इसका पता नहीं होता या फिर अपने फायदे के लिए वे यह बात छुपाते हैं।
=> इन रंगों से कई तरह की बीमारियों का खतरा रहता है। होली पर मिलने वाले काले कलर में लेड ऑक्साइड होता है। अगर इसकी ज्यादा मात्रा शरीर में चली जाए, तो किडनी खराब हो सकती है।
=> हरे रंग में कॉपर सल्फेट मिला होता है, जिससे स्किन और आंखों में एलर्जी हो सकती है। दमे के मरीजों के लिए भी यह खतरनाक साबित हो सकता है।
=> सिल्वर और गोल्डन पेंट में एलुमिनियम ब्रोमाइड होता है। इससे स्किन और लंग कैंसर हो सकता है। लाल कलर में मरक्यूरी सल्फाइट होता है।
=> यह बहुत जहरीला रंग है और इससे स्किन एलर्जी और रिएक्शन के साथ-साथ अंधेपन का खतरा भी पैदा हो सकता है।
=> गुलाल में सिलिका या एस्बेस्ट्स का बेस होता है और चमक देने के लिए बारीक कांच भी मिलाया जाता है। इससे स्किन एलर्जी और इन्फैक्शन के साथ-साथ घाव भी हो सकता है।
=> ये रंग त्वचा, आंख और मुंह के जरिए शरीर के अंदर चले जाते हैं और फिर खतरनाक साबित होते हैं। इन जहरीले रंगों से बचना चाहिए और ऑर्गेनिक या हर्बल रंगों से ही होली खेलनी चाहिए।