
मुँह फेर जिधर देखूं , 
मुझे तू ही नजर आए
दोहा – तेरे दर पे तो आना मेरा काम है, 
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है, 
ये आँखे मुन्तजिर तेरे नाम की, 
रुख से पर्दा हटाना तेरा काम है।
मुँह फेर जिधर देखें, 
मुझे तू ही नजर आए, 
अब छोड़ के दर तेरा, 
कोई और किधर जाए।।
गेरो ने तो ठुकराया, 
अपने भी बदल गए है,
 हम साथ चले जिनके, 
वो दूर निकल गए है, 
अब तेरे रहम पर हूँ, 
अब तेरे रहम पर हूँ, 
तू बक्शे या ठुकराए, 
मुझे तू ही नजर आए।।
माना की मैं पापी हूँ, 
मुझे खबर गुनाहो की, 
बस इतनी सजा देना, 
मुझे मेरी खताओं की, 
तेरे दर पे हो सर मेरा, 
तेरे दर पे हो सर मेरा, 
और जान निकल जाए, 
मुझे तू ही नजर आए।।
हम खाक नशीनो की, 
क्या खूब तमन्ना है, 
तेरे नाम पे जीना है, 
तेरे नाम पे मरना है, 
मरना तो है वो तेरी, 
मरना तो है वो तेरी, 
चोखट पे जो मर जाए, 
मुझे तू ही नजर आए।।
सूरज ओर चंदा का, 
क्या खूब उजाला है, 
मस्तक में अग्नि की, 
प्रचंड जवाला है, 
तेरे दर पे हो सर मेरा, 
तेरे दर पे हो सर मेरा, 
और सांस निकल जाए, 
मुझे तू ही नजर आए।।
मुँह फेर जिधर देखें, 
मुझे तू ही नजर आए,
अब छोड़ के दर तेरा, 
कोई और किधर जाए।।
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