हरिवंश राय बच्चन कविता कोयल
अहे, कोयल की पहली कूक ! अचानक उसका पड़ना बोल, हृदय में मधुरस देना घोल, श्रवणों का उत्सुक होना, बनना जिह्वा का मूक ! कूक, कोयल, या कोई मंत्र, फूँक जो तू आमोद-प्रमोद, भरेगी वसुंधरा की गोद ? कायाकल्प - क्रिया करने का ज्ञात तुझे क्या तंत्र ? बदल अब प्रकृति पुराना ठाट करेगी नया-नया श्रृंगार, सजाकर निज तन विविध प्रकार, देखेगी ऋतुपति - प्रियतम के शुभागमन की बाट । करेगा आकर मंद समीर बाल-पल्लव-अधरों से बात, ढकेंगी तरुवर गण के गात नई पत्तियाँ पहना उनको हरी सुकोमल चीर ।
- कोशिश कर हल निकलेगा – मोटिवेशनल कविता
- राधा को कृष्ण की देह मिली बिन देह के नेह – कुमार विश्वास
- कब तक गीत सुनाऊं राधा लिरिक्स – कुमार विश्वास
- जब फूल खुशी में मुस्काया – कविता
- सड़कों पर सम्भल कर कविता
- रोज राधा नाल नाचदा ए | ਰੋਜ਼ ਰਾਧਾ ਨਾਲ ਨੰਚਦਾ ਏ
- मेरे ॐकार की नजर | Mere Omkar Ki Nazar | Ravi Vyas Bhajan
- कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ लिरिक्स
- बुला लो काशी नगरी ओ भोले बाबा लिरिक्स
- दर पे खड़ी हूँ पतंग बन के आओ भोले बाबा तुम डोर
एक सुंदर कविता,जिसके एक-एक शब्द बार-बार पढ़ने को मन करता है
Kanha mere Kanha mere Kanha | कान्हा मेरे कान्हा मेरे कान्हा