॥ कविता ॥
हरदम हंसता रह, शुक्र कर हर हाल में,
हुकम में ही सब खुशियां समाई हैं
राज़ी रहता उसकी रज़ा में जो शख्स,
होती दरगाह में उस की
उस की रसाई है।
हरदम शुक्र कर मालिक के दर पर आ,
शुक्र वाले को नहीं रहता कोई भी खटका ।
विश्वास जिसका अडिग है आँच न आने पाए,
रह निमग्न नाम में दास वह निज घर जाए ।
प्रभु के हुकम को सत्य मानकर चलने वाला सदैव सुखी होता है।