सिर तो देना ही पड़ेगा – कविता
1. सिर तो देना ही पड़ेगा काल को या दयाल को ।
प्रेम में जा समावें सौंपें जो आपा किरपाल को ।
मन मंदिर में बिठा लेते वे सच्ची सरकार को।
अमर पद को पा जाते पकड़कर श्री चरणार को ।
2. बने जो दास सत्पुरुषों का छूट जाए यमत्रास ।
नरकों से निकलकर पाए गुरु चरणों में वास ।
शब्द में जो लीन रहे कभी दुःख न आए पास ।
छूटे बंधन मोह माया के और काल की फाँस ।
3. जिसके दिल में है बसती सतगुरु की पावन याद ।
नाम बिना इक भी स्वांस को करे न वह बरबाद ।
दिन रात सेवा भक्ति की दिल से करे फरियाद ।
रूहानी धन को पाकर रहता मस्त व हरदम शाद ।
4. जग में रहो ऐसे जैसे रहता है जल में कमल ।
तू तू की रटन लगाओ त्यागकर मैं मेरी की मल ।
सतगुरु को कर दो अर्पण सारे ही कर्मों का फल ।
पाना चाहो जीवन में गर मालिक का प्यार अटल ।