तर्ज :- मेरे गीत अमर कर दो
टेक : श्री चरण पधारे है, हम स्वागत करतें है
हम स्वागत करतें है, अभिनन्दन करतें है……
1. हर दिल है तमन्नाई, हर कोई है शैदाई
तेरे दीद मुबारिक को, हर नज़र है ललचाई
धुर लेख लिखे जिनके, गुरु दर्शन करते है…….
2. है अजब पसे मँज़िर, दीदारें हजूरी का
यह तलब का किस्सा है, देरी का न दूरी का
सुखे संखाड़ो को, प्रभु चन्दन करतें है……..
3. है भाग्य भरी धरती, उस पार समुन्दर की
शाहाना बुलन्दी है, भक्तों के मुकुद्दर की
जहाँ करुणा पुज्य स्वयं, पावन पग धरतें है…….
4. सौभाग्य बरसता है, मदमस्त बहारों में
इक होड़ सी मचती हैं, अरशों के सितारों में
गुरु देव फिजाओं में, परवाज़ जो भरते हैं…….
5. यहाँ कोरा ज्ञान नहीं, यहाँ बात अमल की है
ऐसे पसे मँजिर तक, नहीं पहुँच अकल की है
तरते है जो मन चित को, गुरु अर्पण करते हैं……
6. यह सदा सदा कायम, परमारथ काज रहें
युग युग तक हृदय पर, सत्गुरु का राज रहे
अरदास यही दासा, हम निशदिन करतें है…..