
राधा को कृष्ण की देह मिली
बिन देह के नेह निभा गई मीरा
मीरा ने मूरत को जो सुलाया तो
नटखट जाग के सो गया होगा
नटखट जाग के सो गया होगा
नटखट जाग के सो गया होगा
गोद के स्पर्श में मोद को पाकर
पाहन कोमल हो गया होगा…
पाहन कोमल हो गया होगा
पाहन कोमल हो गया होगा
मीरा ने प्रेम की बेल जो बोई
तो कान्हा भी अंकुर बो गया होगा
तो कान्हा भी अंकुर बो गया होगा
तो कान्हा भी अंकुर बो गया होगा
मीरा ने आंसू के मोती सजाएं
तो कान्हा भी धागा पीरो गया होगा
तो कान्हा भी धागा पीरो गया होगा
तो कान्हा भी धागा पीरो गया होगा
फूलों में सांप को देख के माला में
धागे से साँप को सी गई मीरा
धागे से साँप को सी गई मीरा
धागे से साँप को सी गई मीरा
राणा ने प्याला दिया विष का
और सोचा अभी के अभी गई मीरा
मीरा ने विष तो पीया ही नहीं
ऐसे मौत को मार के जी गई मीरा
ऐसे मौत को मार के जी गई मीरा
ऐसे मौत को मार के जी गई मीरा
कृष्ण के प्रेम का प्याला है ये
रणधार से प्यार को पी गई मीरा
रणधार से प्यार को पी गई मीरा
रणधार से प्यार को पी गई मीरा
राधा को कृष्ण की देह मिली
बिन देह के नेह निभा गई मीरा
कब तक गीत सुनाऊं राधा लिरिक्स – कुमार विश्वास
साधना पर कविता || Sadhna Poetry