
युग सदियां बीत गई पर राम नहीं आए
युग सदियां बीत गई पर राम नहीं आए,
 राम नहीं आए घनश्याम नहीं आए।
1 .मौजूद है सरयू, यमुना का भी तट है,
 कितने ही सुदामा हैं, कितने ही केवट हैं 
पाँवों पाँवों को पखारेगें, पैग़ाम नहीं आए
 युग सदियां ….
2 .सरयू में नीर नहीं, यमुना का तीर नहीं 
खुदगर्ज सुदामा है, केवट गम्भीर नहीं 
न भक्त मंडली है सो शाम नहीं आए।
 युग सदियां। ……
3 .मैं दंडक बन भटका, मधुबन में नाचा,
 कभी रामायण बांची कभी गीता को ब्रांचा 
सारे जतन मेरे कुछ काम नहीं आए।
 युग सदियां। …..
4 .पूजा ही दिखावा है, श्रद्धा भी झूठी है
 भक्ति में शक्ति नहीं, झूठा ही बुलावा है
 कलियुग का पहरा है, ज्ञान भी अधूरा है
 मेरे शाम नहीं आए मेरे राम नहीं आए
 युग सदियां। ……
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