मैं नहीं मेरा यह तन है प्रभु का दिया हुआ
मैं नहीं मेरा यह तन,
है प्रभु का दिया हुआ
जो कुछ भी मेरे पास है,
यह धन उसका दिया हुआ।
देने वाले ने है दिया
और दिया इन शान से,
मेरा है मन लेने कह उठा अभिमान से,
मैं और मेरा कहने वाला मन है
किसी का दिया हुआ,
मैं नहीं…..
जो भी मेरे पास है,
वह भी तो रह सकता नहीं,
कब यह बिछुड़ जाए,
यह जन कह सकता नहीं,
जिन्दगी का मधुवन खिला है
यह भी किसी का दिया हुआ
मैं नहीं…..
जग की सेवा खोज
अपनी प्रेम प्रभु से कीजिए,
जिन्दगी का यही राज है
जान कर लीजिए,
साधना की राह में साधन है
किसी का दिया हुआ,
मैं नहीं…..