तितली पर कविता
मनोहर और रंग बिरंगी, फूल बने हैं इसके संगी।
आत्मबल और विश्वास, मिल जाएंगे तितली पास।
बच्चों के मन तितली भाती, ठुमक ठुमक कर, खूब नाच दिखाती ।
मौन धारे या शोर मचाए, पंख फैलाकर उड़ती जाए।
रंगों की है रानी यह, कितनी बड़ी स्यानी यह ।
पकड़ में नहीं आती तितली,
सबके मन को भाती तितली ।
नटखट बालक पकड़ें इसको,
धागों से भी जकड़ें इसको ।
खिलते फूल जहां दिख जाएं,
तितली को वे खूब रिझाएं।
सजी-संवरी फूल-क्यारी,
तितली को भी लगे प्यारी।
सबका मन हर्षाए तितली,
प्रसाद का मन भाए तितली ।
-रामप्रसाद शर्मा ‘प्रसाद’