डॉ मनमोहन सिंह
सरदार डॉ मनमोहन सिंह हमारे लोकप्रिय नेताओं में सर्वप्रमुख हैं। उन्हें भारत के प्रतिभासंपन्न प्रधानमंत्री माना जाता है।
भारत राष्ट्र के प्रधानमंत्री होने की वजह से आज विश्व के नेताओं में उनका बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ होने के साथ-साथ वे एक गंभीर और समर्पित व्यक्ति भी हैं।
डॉ मनमोहन सिंह जी में ज्ञान और योग्यता का अपार भंडार छिपा हुआ है उनसे कोई कुछ न कुछ सीख सकता है।
मनमोहन सिंह का जन्म:
जब इनके घर का बंटवारा हुआ था तब इन्हें अमृतसर के स्वांग मंडी के किशन सिंह संत राम के तबेले में भी रहना पड़ा था।
बाल्यकाल एवं परिवार :
शिक्षा का सम्मान :
इन्होने डी० फिल० और डी० लि० की उपाधियाँ ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय और होनोरिस कौसा से प्राप्त की थीं।
उन्होंने भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर पीएच० डी० की उपाधि प्राप्त की थी। इन्हें कैंब्रिज विश्व विद्यालय ने एडम स्मिथ पुरुस्कार से सन् 1965 को सम्मानित किया था।
भारत ने इन्हें पदम् विभुषण पुरस्कार से सन् 1987 में सम्मानित किया था। इन्हें साल के वित्तमंत्री के लिए युरोमनी पुरस्कार से सन् 1993 में सम्मानित किया था।
इन्हें एशिया के साल के वित्तमंत्री के रूप में एशिया मनी पुरस्कार से सन् 1993 और सन् 1994 में सम्मानित किया गया था।
मनमोहन सिंह की नौकरी :
इन्होने पंजाब विश्व विद्यालय में अर्थशास्त्र के अध्यापक और रीडर के रूप में सन् 1957 से सन् 1965 तक काम किया था।
इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में सन् 1969 से सन् था। में 1971 तक काम कियाइन्होने सन् 1976 में जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया था।
इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी मानद प्रोफ़ेसर के रूप में सन् 1996 में काम किया था। इन्होने प्रधानमंत्री बनने से पहले बहुत से पदों का दायित्व संभाला था।
प्रधानमंत्रित्व एक चुनौती :
डॉ मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ 22 मई 2004 को ली थी। इस पद पर चुने जाने के बाद भी इनके सामने अपनी प्रतिभा और क्षमता को दिखाने के लिए अनेक विराट चुनौतियाँ थीं।
उन सब को इन्होने बहुत ही ख़ुशी से निभाया था।जिस समय पर सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री पद को ठुकराया था उस समय डॉ मनमोहन सिंह के विपक्ष दल के पास कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो इस पद को सर्व संपत्ति के साथ स्वीकार कर सके।
डॉ मनमोहन सिंह को दुबारा से प्रधानमन्त्री पद के लिए सन् 2009 को चुना गया था।
कुशल अर्थशास्त्री :
डॉ मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र के रूप में लब्धब्द्ध माना जाता था। वे नर सिंह राव सरकार में भी सन् 1991 में वित्तमंत्री रहे थे।
उन्ही की नीतियों पर चलने से अर्थव्यवस्था दृढता की ओर आगे बढ़ी थी।आज के समय में देश जिस दौर से गुजर रहा है उसमें हमे प्रधानमंत्री के रूप में ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो राजनीति के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी समझ सके।
डॉ मनमोहन सिंह इस कसौटी पर खरे उतरे थे।
अंतर्मुखी व्यक्तित्व:
इसमें प्रधानमंत्री को अपनी राजनितिक पारी में स्वभावगत संकोचों को दूर करके जनता के समक्ष अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करनी चाहिए।
समस्याओं से निबटने का साहस :
जब प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने सत्ता की बागडोर संभाली तभी जनता को सूखा, बाढ़, बढती मुद्रा स्फीति दर,ट्रक हड़ताल, विवाद, बंधक संकट जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद देरी से राजनीति में प्रवेश करने की वजह से अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
इसी काम में उनका अर्थशास्त्री का रूप सामने आता है क्योंकि वे छोटी-से-छोटी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते थे।
विनम्र एवं संवेदन शील :
डॉ मनमोहन सिंह जी विनम्र, उदार और संवेदनशीलता से धनी व्यक्ति है। मनमोहन जी का विश्वास सादा जीवन उच्च विचार में था।
वे एक साधारण वेशभूषा में भी बहुत ही प्रभावशाली व्यक्तित्व रखते हैं। इतने बड़े पद पर काम करने पर भी घमंड उनके पास भी नहीं फटका।
इतने पदों पर सम्मानित होते हुए भी परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारियाँ कम नहीं हुई हैं।
उपसंहार :-
भारत की जनता को अपने इस सपूत से बहुत आशाएं हैं। हम लोग यह आशा करते हैं की डॉ मनमोहन जी के नेतृत्व में यह देश लगातार आगे बढ़ता रहेगा। भगवान इन्हें लम्बी उम्र और स्वास्थ्य प्रदान करे।