भजन – जो करेगा खत्म खुदी अपनी-सच्चा सेवक वही कहायेगा
तर्ज: याद में तेरी जाग-2 के हम रात दिन करवटें बदलते है
टेक :- जो करेगा खत्म खुदी अपनी-सच्चा सेवक वही कहायेगा
गुरु वचनों पर अमल करता वो-चुतराई नही दिखायेगा
1. वो ही सच्चा मुरीद है जिसने, कर दी हैं खत्म खवाहिशें खुद की मोड़ जो मन्मति के ख्यालों को, बात करता हैं अपने मुर्शिद की कृपा दृष्टि है जिस पे सत्गुरु की, ऐसा रुतबां वही तो पायेगा
2. ज्यों भरे ‘दुध के प्याले से, रखते है दूर ही खटाई को त्यों ही सच्चें मुर्शिद के, तजते है मान और बढ़ाई को जिसको अभिमान डंक दे जाए, फिर भला चैन कब वो पायेगा
3. जहर पड़ जाए अगर अमृत में, नष्ट करता है शुद्धताई को प्रेमी बचते है मान गौरव से, करते है ग्रहण सेवकाई को जो प्रभु नाम रंगराते है, उनको अभिमान क्या आएगा
4. है यह अभिमान मूल नरकों का, मुक्ति का मूल नम्रताई है जब तलक है खुदी ख्यालों में, तव तलक नूर से जुदाई है मिट गया भेद जब खुदी वाला, फिर वो खुद ही खुदा कहायेगा
5. मन्मति से करे जो तपसंयम, मन में अभिमान आ ही जाता है, पर है गुरुमुख मुरीद वो सच्चा, अपने आपे को जो मिटाता है वो तरेगा समय के सत्गुरु की, शरण संगत में जो भी आयेगा
6. साधना पथ में सत्गुरु भक्ति, इसी कारण श्रेष्ट मानी है विरथा मद मान को मिटाती है, प्रथम श्री गुरु की ऐसी वाणी है जो फिदा होगा दास सत्गुरु पर, सेवा व्रत को वही निभायेगा जो करेगा खत्म खुदी अपनी, सच्चा सेवक वही कहायेगा गुरु वचनों पर अमल करता वो, चतुराई नही दिखायेगा……..
जी न सकोगे राम नाम मर ना सकोगे राम नाम के बिना